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मैकेदाटु परियोजना को केंद्रीय जल आयोग की हरी झंडी

locationबैंगलोरPublished: Nov 28, 2018 07:03:40 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

समग्र परियोजना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

mekedatu

मैकेदाटु परियोजना को केंद्रीय जल आयोग की हरी झंडी

बेंगलूरु. केंद्रीय जल आयोग ने विवादित मैकेदाटु परियोजना की पूर्व संभाव्यता रिपोर्ट को प्रारंभिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। जल आयोग ने मंगलवार को राज्य सरकार से समग्र परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।
बेंगलूरु तथा आसपास के जिलों में पेयजल आपूर्ति के लिए इस अहम परियोजना का तमिलनाडु ने जोरदार विरोध किया है लेकिन कर्नाटक के लिए यह बड़ी जीत है। केंद्रीय जल आयोग ने कहा कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मात्रा के अनुरूप तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी उपलब्ध करवाना होगा। राज्य के जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वे पूर्व संभाव्यता रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान करने के केन्द्र के निर्णय से प्रसन्न हैं। केंद्र की स्वीकृति के बावजूद तमिलनाडु इस परियोजना का विरोध कर रहा है, जो उसे नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे तथा मुख्यमंत्री कुमारस्वामी इस मसले पर तमिलनाडु के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं। उनको केवल बैठक पर सहमति जताने की जरूरत है।
तमिलनाडु सरकार ने की थी आपत्ति
मैकेदाटु जलाशय परियोजना की घोषणा वर्ष 2013 में ही तत्कालीन कानून मंत्री टीबी जयचंद्रा ने की थी। इसके बाद ही तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर परियोजना को स्वीकृति नहीं देने के लिए कहा था। उन्होंने दलील दी थी कि कावेरी पंचाट के आदेश का पालन हो रहा है या नहीं इसकी निगरानी करने वाली संस्था नहीं है। इसलिए यह परियोजना तमिलनाडु जैसे निचले तटीय राज्य के अनुकूल नहीं है। उन्होंने यह भी दलील दी कि इस परियोजना के कारण न केवल तमिलनाडु के किसान पानी पाने से वंचित होंगे बल्कि यह उपलब्ध पानी के पूरे इस्तेमाल करने के पंचाट के फैसले का भी उल्लंघन होगा। फरवरी 2017 में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली सरकार ने परियोजना के शुरुआती प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया था। इसके बाद अक्टूबर 2017 में राज्य सरकार ने केन्द्रीय जल आयोग को पूर्व संभाव्यता रिपोर्ट पेश कर दी जिसमें खामियां होने के आधार पर लौटा दिया गया था। इसके बाद 16 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी मुद्दे पर अपना फैसला सुनाने के साथ ही कावेरी निगरानी समिति का गठन कर दिया था। अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीस्वामी की दलील है कि तमिलनाडु की सहमति के बिना इस परियोजना को लेकर केंद्रीय जल आयोग के पास जाना शीर्ष न्यायालय के फैसले का उल्लंघन है।
5,912 करोड़ रुपए की लागत आएगी
मैकेदाटु परियोजना के तहत राज्य सरकार ने कावेरी नदी पर निर्मित कृष्णराजसागर बांध के निचले इलाके में एक संतुलन जलाशय का निर्माण करने का प्रस्ताव रखा है ताकि मानसून के दौरान अधिक बारिश होने पर कावेरी नदी का पानी समुद्र में व्यर्थ बहाने की बजाय उसका संग्रहण किया जा सके। तमिलनाडु को उसके हिस्से का पानी छोड़े जाने के बाद शेष बचने पानी का उपयोग बेंगलूरु शहर, रामनगर व आसपास के इलाकों को पेयजल की आपूर्ति में किया जा सकेगा। इससे पन बिजली का उत्पादन भी किया जा सके। लगभग 6 6 टीएमसी फीट क्षमता वाले इस प्रस्तावित जलाशय के निर्माण पर करीब 5,912 करोड़ रुपए लागत आने का अनुमान है। इस परियोजना के संबंध में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने गत अक्टूबर माह में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी के साथ बैठक करके परियोजना के उद्देश्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। बैठक के बाद विश्वास व्यक्त किया था कि इसे केंद्र से स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एड़ापड़ी पलनीस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट करके मैकेदाटु परियोजना को स्वीकृति नहीं प्रदान करने का अनुरोध किया।
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