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कोई नहीं बच सकता कर्म के चक्रव्यूह से

locationबैंगलोरPublished: Jul 23, 2019 01:10:58 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

अमिट छाप छोड़ गया नाटक चक्रव्यूह का मंचननितीश भारद्वाज के जीवंत अभिनय ने छोड़ी छाप

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कोई नहीं बच सकता कर्म के चक्रव्यूह से

बेंगलूरु. ‘जीवन एक चक्रव्यूह है, सद्कर्मों से ही इसे तोड़ा जा सकता है’ जैसे कालजयी संदेश देते ख्याति प्राप्त नाटक चक्रव्यूह का मंचन रविवार को ज्योतिनिवास सभागार में हुआ। राजगढ़-सादुलपुर नागरिक परिषद की स्थापना के 15 वर्ष एवं राजगढ़ भवन के 10 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह में चक्रव्यूह नाटक का मंचन किया गया, जिसमें शहर के नाट्य प्रेमी ‘महाभारत’ धारावाहिक में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले अभिनेता नीतीश भारद्वाज से एक बार फिर रूबरू हुए। अतुल सत्य कौशिक द्वारा लिखित-निर्देशित और नीतीश भारद्वाज के मंजे हुए अभिनय ने दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी।
नाटक में दर्शाया गया कि चक्रव्यूह केवल एक युद्ध शिल्प तक ही सीमित नहीं है यह सम्पूर्ण जीवन दर्शन के स्तर को समझने को बाध्य करता है। नाटक में कुरुक्षेत्र की रक्त-रंजित धरती को सम्बोधित करते हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा कि आने वाले युगों में कुरुक्षेत्र की धरती को उन सभी अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर देना होगा जो भावी पीढियां उनसे पूछने वाली है।
अपनी माता के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने का अधूरा ज्ञान सीखने वाले अभिमन्यु के चक्रव्यूह में फंसकर युद्ध नियमों के विपरीत वार से वीर गति को प्राप्त होने पर पांडव पक्ष का शोक बेहद मार्मिक ढंग से दर्शाया गया। नाटक में उत्तरा, अर्जुन, द्रोपदी और अन्य परिजनों के मन में श्रीकृष्ण से पूछे जाने वाले सवालों और अंतत: श्रीकृष्ण का शाश्वत संदेश कहना कि ‘कोई भी अपने कर्मों में रचे गए स्वयं के चक्रव्यूह से कभी मुक्त नहीं हो सकता है। हमारा सम्पूर्ण जीवन इस चक्रव्यूह के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। हमे अपने सतकर्मों से जीवन रूपी चक्रव्यूह में लेते हुए इस चक्रव्यूह को भेद कर विजयी होकर बाहर निकलना पड़ता है। चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु की मृत्यु पर आधारित यह नाटक कर्म, धर्म, निष्ठा एवं माता-पिता के उत्तर दायित्वों जैसे विभिन्न संदेश पर आधारित रहा। नीतीश भरद्वाज के सशक्त अभिनय ने पूरे नाटक को भव्य एवं अविस्मरणीय बना दिया। चक्रव्यूह के सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से सभागार में उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया।
मुख्य अतिथि कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद सिंह और राजस्थान के विधायक सतीश पूनिया थे । इस अवसर पर मुरारीलाल सरावगी को सम्मानित किया गया। अध्यक्ष प्रभात किशनपुरिया ने स्वागत किया। सरावगी का परिचय रतन ने दिया। मंच संचालन मंत्री सचिन पांडिया व महेश गोयल ने संयुक्त रूप से किया। आभार राजकुमार कंदोई ने जताया। परिषद के संरक्षक मुरारीलाल सरावगी, सुरेंद गोयल, सुरेंद्र अग्रवाल, अध्यक्ष प्रभात किशनपुरिया, उपाध्यक्ष राजकुमार कंदोई और रतन कंदोई सहित बड़ी संख्या में शहर की अग्रणी संस्था के पदाधिकारी व व्यापार जगत के लोग उपस्थित रहे।
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