भारतीय विज्ञान संस्थान (भाविसं) के दीक्षांत समारोह को सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही बायोकॉन की प्रबंधन निदेशक व अध्यक्ष डॉ. किरण मजूमदार शॉ ने कहा, देश के युवा विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान कर सकें और इसके लिए अनुकूल माहौल और सुविधाएं हों यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदार देश के प्रशासक की है।
ब्रेन ड्रेन को रोकना चुनौती है। विज्ञान में शोध को बढ़ावा मिले। ऐसे खोज और आविष्कार हों जिससे देश और समाज विकसित हो। लेकिन शिक्षा और उद्योग क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया है। शोध गतिविधियों सर्वाधिक प्रभावित हुई हैं और फंड की कमी है। डॉ. शॉ ने कहा, प्रतिभाशाली व्याख्याताओं या विशेषज्ञों की कमी नहीं है।
लेकिन लाभ उठाने में देश पीछे है। भाविसं व आइआइटी जैसे संस्थानों से डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों की पूरे विश्व में मांग है। शोध या उच्चतर शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले कई विद्यार्थी वापस नहीं लौटते हैं। इस ब्रेन ड्रेन से देश को नुकसान हो रहा है। इस अवसर पर 50 विद्यार्थियों को पदक व 856 विद्यार्थियों को पीएचडी सहित विभिन्नि डिग्रियां प्रदान की गई। भाविसं के निदेशक प्रो. अनुराग कुमार, कुलसचिव प्रो. वी.राजारमण और गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष पी. रामाराव ने भी समारोह में हिस्सा लिया।
———– जीकेवीके के विद्यार्थियों का प्रदर्शन जारी
कक्षा और परीक्षा का बहिष्कार
निजी कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रमों का विरोध
बेंगलूरु. निजी कॉलेजों को कृषि पाठ्यक्रमों की इजाजत देने से खफा कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (जीकेवीके) के विद्यार्थियों ने 12वें दिन सोमवार को भी अपना प्रदर्शन जारी रखा। कक्षा और परीक्षा का बहिष्कार कर विरोध जाता। सरकार से यह निर्णय वापस लेने की मांग की। ऐसा नहीं होने तक प्रदर्शन व बहिष्कार जारी रखने की घोषणा की। हासन जिले में भी करेकेरे स्थित कृषि कॉलेज के 400 से भी ज्यादा विद्यार्थियों ने जेनेटिक्स और एंटोमोलॉजी परीक्षा का बहिष्कार कर प्रदर्शन में हिस्सा लिया। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया कि विवि के अधिकारियों ने उनके अभिभावकों को संदेश भेजा है कि प्रदर्शन और बहिष्कार जारी रहने की स्थिति में कॉलेज को बंद किया जा सकता है। विद्यार्थियों का कहना है कि कोर्स के लिए निजी कॉलेज मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। बाद में निजी कॉलेजों के विद्यार्थी नौकरी के लिए सरकारी कॉलेजों के विद्यार्थियों के समकक्ष खड़े होंगे। जबकि प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बाद सरकारी कॉलेजों में सीट मिलती है।
कक्षा और परीक्षा का बहिष्कार
निजी कॉलेजों में कृषि पाठ्यक्रमों का विरोध
बेंगलूरु. निजी कॉलेजों को कृषि पाठ्यक्रमों की इजाजत देने से खफा कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (जीकेवीके) के विद्यार्थियों ने 12वें दिन सोमवार को भी अपना प्रदर्शन जारी रखा। कक्षा और परीक्षा का बहिष्कार कर विरोध जाता। सरकार से यह निर्णय वापस लेने की मांग की। ऐसा नहीं होने तक प्रदर्शन व बहिष्कार जारी रखने की घोषणा की। हासन जिले में भी करेकेरे स्थित कृषि कॉलेज के 400 से भी ज्यादा विद्यार्थियों ने जेनेटिक्स और एंटोमोलॉजी परीक्षा का बहिष्कार कर प्रदर्शन में हिस्सा लिया। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया कि विवि के अधिकारियों ने उनके अभिभावकों को संदेश भेजा है कि प्रदर्शन और बहिष्कार जारी रहने की स्थिति में कॉलेज को बंद किया जा सकता है। विद्यार्थियों का कहना है कि कोर्स के लिए निजी कॉलेज मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं। बाद में निजी कॉलेजों के विद्यार्थी नौकरी के लिए सरकारी कॉलेजों के विद्यार्थियों के समकक्ष खड़े होंगे। जबकि प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बाद सरकारी कॉलेजों में सीट मिलती है।