अनुसूचित जनजाति कल्याण विकास के निदेशक ने आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करने वाले कई जिलों के अधिकारियों के साथ गुरुवार को राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और इस मुद्दे पर चर्चा की।
एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के परियोजना संयोजक सी. शिवकुमार ने कहा कि मैसूरु जिले के वन क्षेत्रों में कम से कम २०९ हाडिया (बस्तियां) हैं जहां करीब ६५ हजार लोग निवास करते हैं। इनमें से १९ बस्तियां सघन वन क्षेत्रों में काफी अंदर है जहां सामान्य वाहनों से पहुंचना भी मुश्किल है। १९ बस्तियों में से १४ एचडी कोटे तालुक में जबकि पांच पेरियापटणा तालुक में है।
उन्होंने कहा कि जंगल के भीतर से मतदाताओं को लाने के लिए वन विभाग के वाहनों का उपयोग करने के बारे में अनुमति लेने पर भी विभाग विचार कर रहा है। यदि वन विभाग वाहन नहीं प्रदान करता है तो अन्य वाहनों की मदद से आदिवासी मतदाताओं को चुनाव के दिन मतदान केन्द्रों तक लाने ले जाने की अनुमति वन विभाग से मांगी जाएगी।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को मतदान के लिए प्रेरित करने और उन्हें मतदान के दिन मतदान केन्द्रों तक वाहनों की मदद से पहुंचाने पर चुनाव आयोग के साथ एक दौर की वार्ता हो चुकी है। चुनाव आयोग को भी पिछले चुनाव में यह पता चला था कि भीतरी वन क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश आदिवासियों ने मतदान नहीं किया था। चूंकि चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार कुछ सौ मतदाताओं के लिए वन क्षेत्र की हर बस्ती में मतदान केन्द्र स्थापित नहीं हो सकता इसलिए मतदाताओं को निर्धारित मतदान केन्द्र तक लाने का विकल्प अपनाना बेहतर रहेगा।