बैंगलोर

आदिवासी मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक पहुंचाने की चुनौती

जंगलों में रहने वाले आदिवासी मतदाता कई बार ज्यादा दूरी होने के कारण मतदान करने नहीं आते हैं।

बैंगलोरApr 13, 2018 / 01:06 am

Sanjay Kumar Kareer

मैसूरु. विधानसभा चुनाव में शत प्रतिशत मतदान सुनिश्चित कराने की चुनाव आयोग की पहल के समक्ष मैसूरु जिले में बड़ी चुनौती वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी मतदाता हैं। मतदान केन्द्रों से काफी दूर जंगलों में रहने वाले आदिवासी मतदाता कई बार ज्यादा दूरी होने के कारण मतदान करने नहीं आते हैं। आदिवासी मतदाताओं की इस परेशानी को दूर करने के लिए इस बार मैसूरु जिला प्रशासन उन्हें मतदान केन्द्रों तक लाने ले जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था कर सकता है।
अनुसूचित जनजाति कल्याण विकास के निदेशक ने आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करने वाले कई जिलों के अधिकारियों के साथ गुरुवार को राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और इस मुद्दे पर चर्चा की।
एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के परियोजना संयोजक सी. शिवकुमार ने कहा कि मैसूरु जिले के वन क्षेत्रों में कम से कम २०९ हाडिया (बस्तियां) हैं जहां करीब ६५ हजार लोग निवास करते हैं। इनमें से १९ बस्तियां सघन वन क्षेत्रों में काफी अंदर है जहां सामान्य वाहनों से पहुंचना भी मुश्किल है। १९ बस्तियों में से १४ एचडी कोटे तालुक में जबकि पांच पेरियापटणा तालुक में है।
उन्होंने कहा कि जंगल के भीतर से मतदाताओं को लाने के लिए वन विभाग के वाहनों का उपयोग करने के बारे में अनुमति लेने पर भी विभाग विचार कर रहा है। यदि वन विभाग वाहन नहीं प्रदान करता है तो अन्य वाहनों की मदद से आदिवासी मतदाताओं को चुनाव के दिन मतदान केन्द्रों तक लाने ले जाने की अनुमति वन विभाग से मांगी जाएगी।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को मतदान के लिए प्रेरित करने और उन्हें मतदान के दिन मतदान केन्द्रों तक वाहनों की मदद से पहुंचाने पर चुनाव आयोग के साथ एक दौर की वार्ता हो चुकी है। चुनाव आयोग को भी पिछले चुनाव में यह पता चला था कि भीतरी वन क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश आदिवासियों ने मतदान नहीं किया था। चूंकि चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार कुछ सौ मतदाताओं के लिए वन क्षेत्र की हर बस्ती में मतदान केन्द्र स्थापित नहीं हो सकता इसलिए मतदाताओं को निर्धारित मतदान केन्द्र तक लाने का विकल्प अपनाना बेहतर रहेगा।
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