जीएसएलवी के क्रायोजेनिक इंजन में था रिसाव
इसरो के सूत्रों के मुताबिक यह गड़बड़ी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के क्रायोजेनिक इंजन में नोटिस की गई। समय रहते क्रायोजेनिक इंजन के तरल ईंधन में रिसाव का पता चला जिसके बाद मिशन को टालने का निर्णय किया गया। कई बार इस रिसाव का पता चल जाता है लेकिन कई बार यह मालूम नहीं हो पाता है। इस बार इसकी जानकारी समय रहते हो गई जिससे मिशन को अंतिम समय में टाल दिया गया। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर मिशन फिर भी लांच होता तो विफल होने की आशंका थी। अगर सफल हो भी जाता तो चंद्रयान-2 को जिस कक्षा में पहुंचाना था उस कक्षा में नहीं पहुंच पाता। इसरो चंद्रयान-2 को 170 गुणा 40 हजार 400 किमी वाली कक्षा में स्थापित करना चाहता था। चंद्रयान-2 का वजन भी 3.8 टन था। रिसाव की वजह से निर्वात में पूरा थ्रस्ट नहीं मिलता और वांछित कक्षा तक यान को नहीं पहुंचाया जा सकता था।
इसरो के सूत्रों के मुताबिक यह गड़बड़ी जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट के क्रायोजेनिक इंजन में नोटिस की गई। समय रहते क्रायोजेनिक इंजन के तरल ईंधन में रिसाव का पता चला जिसके बाद मिशन को टालने का निर्णय किया गया। कई बार इस रिसाव का पता चल जाता है लेकिन कई बार यह मालूम नहीं हो पाता है। इस बार इसकी जानकारी समय रहते हो गई जिससे मिशन को अंतिम समय में टाल दिया गया। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर मिशन फिर भी लांच होता तो विफल होने की आशंका थी। अगर सफल हो भी जाता तो चंद्रयान-2 को जिस कक्षा में पहुंचाना था उस कक्षा में नहीं पहुंच पाता। इसरो चंद्रयान-2 को 170 गुणा 40 हजार 400 किमी वाली कक्षा में स्थापित करना चाहता था। चंद्रयान-2 का वजन भी 3.8 टन था। रिसाव की वजह से निर्वात में पूरा थ्रस्ट नहीं मिलता और वांछित कक्षा तक यान को नहीं पहुंचाया जा सकता था।
ऐसा होता हैै क्रायोजेनिक इंजन
दरअसल, क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट मोटर्स हैं जिनमें तरल र्इंधन का इस्तेमाल किया जाता है। जमीन पर रॉकेट में भरे जाने वाले ठोस और तरल प्रणोदकों की तुलना में क्रायोजेनिक चरण तकनीकी रूप से काफी जटिल होता है। इसमें तरल ईंधन रखने के लिए इंजन को इस तरह से डिजाइन किया जाता है और ऐसे अवयवों का प्रयोग किया जाता है कि वह तापमान को अत्यंत कम रख सके अन्यथा सामान्य तापमान पर यह तरल ईंधन गैस में रूपांतरित हो जाएगा। आमतौर पर इसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का प्रयोग होता है। ऑक्सीजन को तरल रूप में रखने के लिए उसे -283 डिग्री सेल्सियस और हाइड्रोजन को -253 डिग्री सेल्सियस पर रखना पड़ता है। क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट के उपरी हिस्से में होता है।
अब अगले महीने प्रक्षेपण पर विचार
सूत्रों के मुताबिक मिशन स्थगित किए जाने के तुरंत बाद इसरो अध्यक्ष के. शिवन ने उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई जिसमें अगले लांच तारीख पर चर्चा शुरू हो गई है। इसरो अध्यक्ष चाहते हैं कि अगले ही महीने मिशन लांच हो जाए। सूत्रों के मुताबिक अब लांच पैड पर खड़े रॉकेट के टैंक में भरे ईंधन को खाली करने के बाद उसे फिर एक बार लांच पैड से वापस ले जाया जाएगा। अब पूरे मिशन को डिसमेंटल कर नए सिरे से इंटीग्रेशन करना पड़ेगा। अधिकारियों के मुताबिक 15 जुलाई को10 मिनट का लांच विंडो था जबकि इसके बाद केवल एक मिनट का लांच विंडो जुलाई में उपलब्ध है। अब मिशन जुलाई में लांच होना संभव नहीं लगता। अगस्त महीने में लांच करने के प्रस्ताव पर विचार शुरू हो गया था।