बैंगलोर

अगले महीने चंद्रयान-2 लांचिंग की संभावना नहीं!

अब अक्टूबर तक मिशन भेजने की तैयारी

बैंगलोरMar 03, 2018 / 08:10 pm

Rajeev Mishra

चंद्र मिशन चंद्रयान-1 की लांचिंग 22 अक्टूबर 2008 को हुई थी
बेंगलूरु. देश का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 अप्रेल महीने में संभवत: नहीं लांच होगा। इस मिशन को अब अक्टूबर महीने में भेजा जाएगा। इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अब यह लगभग तय हो चुका है कि मिशन अप्रेल में नहीं छोड़ा जाएगा। अगर अक्टूबर तक तैयारियां पूरी हो जाती हैं तो ठीक नहीं तो मिशन कुछ दिन और आगे खिसक सकता है।
इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि इस मिशन को लेकर अंतरिक्ष एजेंसी कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती। इसलिए पूरे मिशन की नए सिरे से समीक्षा हो रही है। इसरो इसे लेकर कोई जल्दीबाजी नहीं करना चाहता। पूर्व योजना के मुताबिक चंद्रयान-2 की लांचिंग अप्रेल से नवम्बर के बीच की जानी थी और पूरा जोर अप्रेल पर था। हालांकि, एक इसरो अधिकारियों ने कहा कि मिशन अप्रेल अंत तक भेजा जा सकता है पर सूत्रों का कहना है कि मिशन की समीक्षा ‘शून्य से सौ फीसदीÓ तक फिर से की जा रही है। यानी, हर एक प्रणाली और उपकरण का परीक्षण शून्य से किया जाएगा। सभी प्रणालियों की नए सिरे से समीक्षा होने के बाद ही मिशन को हरी झंडी दी जाएगी और इसमें वक्त लगेगा। सूत्रों के मुताबिक अप्रेल में मिशन को छोड़ा जाना अब संभव नहीं है क्योंकि चंद्रयान-2 में तीन प्रमुख घटक आर्बिटर, लैंडर और रोवर हैं और सभी को फिर से परखा जाएगा। इसरो वैज्ञानिक अब अगस्त सितम्बर तक पूरे मिशन को फिर से तैयार करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं ताकि अक्टूबर में मिशन लांच हो सके।
गौरतलब है कि देश के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 की लांचिंग 22 अक्टूबर 2008 को हुई थी। एक दशक पूरा होने पर इसरो चंद्रयान-2 की लांचिंग भी अक्टूबर में कर सकता है। दूसरा चंद्र मिशन पहले मिशन की तुलना में काफी उन्नत होगा। पहले चंद्र मिशन में केवल एक आर्बिटर भेजा गया था जिसने चांद की 100 किलोमीटर वाली कक्षा में परिक्रमा किया और आंकड़े भेजे। चंद्रयान-1 के साथ भेजा गया एक उपकरण मून इमपैक्ट प्रोब (एमआईपी) आर्बिटर से निकलकर चांद की धरती से जा टकराया था और उसी दौरान चांद पर पानी की मौजूदगी के साक्ष्य मिले। दूसरे मिशन में आर्बिटर चांद की कक्षा में परिक्रमा करेगा वहीं लैंडर चांद के दक्षिणी धु्रव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। लैंडर से रोवर निकलकर चांद की धरती पर चहलकदमी करेगा और आंकड़े जिसे इसरो के विभिन्न केंद्रों पर प्राप्त किया जाएगा।
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