इसरो ने कहा है कि तीसरे मैनुवर के लिए यान में मौजूद तरल अपोगी मोटर (लैम) 1190 सेकंड (लगभग 12 मिनट) तक फायर कर किया गया। लैम फायरिंग के बाद यान सही हालत में है और उससे निरंतर संपर्क बना हुआ है। यह प्रक्रिया बेंगलूरु स्थित इसरो टेलीमेट्री टै्रकिंग एवं कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्पलेक्स से पूरी की गई और ब्यालालू स्थित आइडीएसएन ने सहयोग किया।
अभी तक इसरो ने मिशन के हर पड़ाव पर अपेक्षानुरूप शत-प्रतिशत सफलता हासिल की है। हर सफलता के साथ इसरो वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ता जा रहा है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि मिशन को जिस तरह से डिजाइन किया गया है, कदम-दर-कदम ठीक उसी प्रकार आगे बढ़ रहे हैं।
अब चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर उतारने को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। हर मैनुवर में सफलता अगले मैनुवर के लिए महत्वपूर्ण होती है। अब चौथा मैनुवर 30 अगस्त को होगा।
चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का आखिरी मैनुवर 1 सितम्बर को होगा और तब उसे 100 किमी गुणा 104 किमी वाली कक्षा में लाया जाएगा। 2 सितम्बर को चंद्रयान का लैंडर विक्रम आर्बिटर से अलग होगा और 3 सितम्बर को 3 सेकंड की छोटी लैम फायरिंग के जरिए उसके इंजन की जांच होगी।
4 सितम्बर को 6 सेकंड के मैनुवर के बाद लैंडर को चांद की 100 गुणा 30 किमी वाली कक्षा में लाया जाएगा। 7 सितम्बर तड़के 1.55 बजे लैंडर चांद के दक्षिणी धु्रव पर उतरेगा।