scriptचंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का ठोस सबूत देगा चंद्रयान-2 | Chandrayaan-2 will give evidence of the presence of water on moon | Patrika News

चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का ठोस सबूत देगा चंद्रयान-2

locationबैंगलोरPublished: Sep 22, 2018 07:01:14 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

इसरो की अगले वर्ष 3 जनवरी को प्रक्षेपण की योजना

chandrayaan2

चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का ठोस सबूत देगा चंद्रयान-2

चंद्रयान-1 ने खोजा था चांद पर पानी
विशेष पे-लोड के अध्ययन से दृढ़ होंगे निष्कर्ष
बेंगलूरु. चांद पर पानी की मौजूदगी के संकेत मिलने के बाद भारत अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के जरिए इस बात का ठोस प्रमाण पेश करेगा कि चांद पर पानी कहां-कहां है और किस रूप में है। देश के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने पहली बार चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया था और अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दूसरे मिशन में उस अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा। इसरो ने 3 जनवरी 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लांच करने की योजना बनाई है।
इसरो ने कहा है कि चंद्रमा के सतह, उप सतह, उसके गहरे भीतरी भाग और बहिर्मंडल में पानी की मौजूदगी के व्यापक सबूत मिलना बेहद रोमांचक है। इससे चांद की ओर देखने का नजरिया बदला है और भविष्य की चंद्र यात्राओं में अन्वेषण का केंद्र बिंदु भी यहीं रहेगा। चांद के ध्रुवों पर तैयार पानी तक पहुंच वैज्ञानिक अनुसंधानों के दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि उपयोगिता के ख्याल से भी बेहद महत्वपूर्ण है। चांद पर मौजूद पानी का प्राचीन नमूना वहां पानी के मौलिक स्रोत का पता लगाने में कारगर साबित होगा। इससे धरती पर पानी की उत्पत्ति और पूरे सौरमंडल में पानी से जुड़े अनुसंधानों और विचारों पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ेगा। माना जाता है कि चांद पर मौजूद पानी की प्राथमिक उत्पत्ति 3 से 4 अरब वर्ष पहले हुई होगी। चांद पर पानी का इतने वर्षों से टिका रहना अनूठे सौर-रोशनी की ज्यामिति के कारण है जो सूर्य किरणों को धु्रवीय क्षेत्रों के क्रेटर में सीधे प्रवेश करने से रोकती है।

इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 वर्ष 2019 के आरंभ में चंद्रमा का अध्ययन शुरू करेगा। चंद्रयान-2 के आर्बिटर में व्यापक श्रृंखला वाला स्पेक्ट्रोमीटर है जो 5 माइक्रोन तक की चीजों के स्पष्ट रूप से देख सकता है। इससे चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का स्पष्ट प्रमाण मिलेगा। इस प्रयोग से विश्व में पहली बार चंद्रमा की सतह पर पानी के वितरण के संबंध में दृढ़ निष्कर्ष निकलने की उम्मीद है। दोहरी आवृत्ति वाला सिंथेटिक अपर्चर राडार (एसएआर) इस अध्ययन को आगे बढ़ाएगा और चंद्रमा के उप-सतह में पानी की मौजूदगी के मिले प्रमाणों को और विश्वसनीयता के साथ पुष्ट करेगा। इसके अलावा मास स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए चांद के बहिर्मंडल का लंबे समय तक अध्ययन किया जा सकेगा। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 वास्तव में चंंद्रमा पर पानी की मौजूदगी जैसे महत्वपूर्ण विषय पर ठोस निष्कर्ष देगा।
पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने चांद की धरती पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया और दस साल बाद फिर एक बार वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की कि चांद के धु्रवीय प्रदेशों में जमी हुई बर्फ के रूप में पानी मौजूद है। चंद्रयान-1 के उपकरण (पे-लोड) मून-मिनरोलॉजी-मैपर (एम-3) द्वारा की गई इस खोज ने चंद्रमा की ओर देखने का वैज्ञानिक नजरिया बदल दिया। इसरो ने कहा है कि चंद्रमा पर पानी की खोज के बाद सौरमंडल के व्यापक अन्वेषण में भी चांद अहम भूमिका सकता है। अगर अंतरिक्ष और सौर मंडल की व्यापाक खोज शुरू करते हैं तो चंद्रमा ईंधन, ऑक्सीजन या अन्य महत्वपूर्ण कच्चे माल के लिए आधार बन सकता है। कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि अगर पानी और संसाधनों के लिए चांद को अड्डा बनाएं तो अंतरिक्ष परिवहन काफी किफायती हो जाएगा। चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण 22 अक्टूबर 2008 को पीएसएलवी सी-11 से किया गया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो