scriptचांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-2 | Chandrayaan-2 will land on the southern pole of the moon | Patrika News

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा चंद्रयान-2

locationबैंगलोरPublished: Feb 06, 2018 05:44:04 am

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बेंगलूरु. महत्वाकांक्षी चंद्रयान-2 मिशन की तैयारियों में जुटे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मिशन छोडऩे की समय-सीमा को थोड़ा संशोधित किया है। साथ ही चांद के उस भू-भाग को भी चिन्हित कर लिया है जहां लैंडर उतारा जाएगा।


इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चंद्रयान-2 अप्रेल महीने में छोड़ा जाएगा और यान के लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर उतारा जाएगा। यह पहला मौका होगा जब देश का कोई यान अंतरिक्ष में किसी दूसरे पिंड पर उतरेगा। पहले मिशन के विपरीत इस मिशन के तहत एक अंतरिक्षयान, लैंडर और रोवर भेजा जाएगा।


चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट से छोड़ा जाएगा। यह लगभग 3290 किलोग्राम वजनी उपग्रह है। चांद की कक्षा में स्थापित होने के बाद लैंडर आर्बिटर से अलग होकर चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।


इसरो ने चांद के दक्षिणी धु्रव को चिन्हित किया है, जहां लैंडर को उतारा जाएगा। चांद की धरती पर उतरने के बाद रोवर १५० से 200 मीटर की दूरी तक चहलकदमी करते हुए कई प्रयोग करेगा। रोवर धरती के 14 दिनों के बराबर वहां विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देने के बाद शांत हो जाएगा। इस दौरान वह हर 15 मिनट के अंतराल पर आर्बिटर के जरिए धरती पर पर चंद्र सतह की तस्वीरें और आंकड़े भेजेगा। रोवर से मिले आंकड़ों के आधार पर चंद्र सतह का रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा।

अंडाकार कक्षा में स्थापित होगा
उम्मीद है धरती के 14 दिन गुजारने के बाद जैसे ही चांद की सतह पर फिर से सूर्य की किरणें पड़ेंगी रोवर की बैट्री चार्ज हो जाएगी और वह सक्रिय हो जाएगा। रोवर के अलावा आर्बिटर भी चांद की कक्षा में परिक्रमा करते हुए उसकी तस्वीरें लेगा और वापस धरती पर भेजेगा। फिलहाल इसरो ने आर्बिटर, लैंडर और रोवर तैयार कर लिए हैं और उनके इंटीग्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। पूरा मॉड्यूल तैयार होने के बाद उसके कई परीक्षण किए जाएंगे।

जहां तक प्रक्षेपण तिथि निश्चित करने की बात है तो यह धरती और चांद की सापेक्ष स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाएगा। उम्मीद है कि अप्रेल में मिशन लांच हो जाएगा। इसरो अधिकारियों के मुताबिक जीएसएलवी चंद्रयान-2 को 170 गुणा 20 हजार किमी वाली अंडाकार कक्षा में स्थापित करेगा। इसके बाद यान में मौजूद तरल एपोगी मोटर (एलएएम) फायर कर उसे चांद की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। मिशन लांच होने के करीब 2 महीने बाद यान चांद की कक्षा में होगा।

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