बैंगलोर

180 डिग्री पर घूमकर कल चांद का रुख करेगा चंद्रयान

जटिल एलओआइ प्रक्रिया सुबह 8 :30 से 9:30 बजे के बीच
सबकुछ योजना के मुताबिक और यान सही हालत में

बैंगलोरAug 19, 2019 / 07:19 pm

Santosh kumar Pandey

बेंगलूरु. देश का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 लंबी यात्रा पूरी कर चांद के करीब पहुंच गया है। मंगलवार सुबह 8 :30 बजे से 9:30 बजे के बीच एक बेहद जटिल और महत्वपूर्ण लूनर आर्बिट इंसर्शन (एलओआइ) मैनुवर के जरिए उसे चांद की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में पहुंचाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सभी तैयारियां कर ली हैं।
इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान-2 जब चांद के आभामंडल में प्रवेश करेगा तब रेट्रो बर्न के जरिए उसे चांद के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में लाया जाएगा। चूंकि, यान एक ही दिशा में यात्रा कर रहा है, इसलिए रेट्रो बर्न से पहले उसे 18 0 डिग्री के कोण पर घुमाया जाएगा। इसके बाद उसका रुख चांद की ओर हो जाएगा। जब यान में मौजूद तरल एपोगी मोटर (एलएएम) फायर किया जाएगा तो उसकी गति धीमी हो जाएगी और वह चांद के गुरुत्वीय क्षेत्र में प्रवेश करते हुए लगभग 118 किमी गुणा 18 हजार 78 किमी वाली कक्षा में स्थापित हो जाएगा। यह मैनुवर बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अगर लैम फायरिंग से यान की गति बहुत तेज या धीमी रह गई तो उसके चांद से टकराने अथवा गहन अंतरिक्ष में भटकने का खतरा रहेगा। मैनुवर की तमाम प्रक्रियाएं बेंगलूरु स्थित इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एवं कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) से पूरी की जाएंगी। इसमें ब्यालालू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आइडीएसएन) का एंटीना सहायक होगा।
मील का पत्थर
इसरो अध्यक्ष के. शिवन ने कहा कि मिशन का यह बेहद चुनौतीपूर्ण पड़ाव है। इसमें सफलता के साथ ही मील का एक पत्थर पार हो जाएगा और विक्रम लैंडर के चांद की धरती पर उतरने के बेहद करीब हो जाएंगे। सबकुछ योजना के मुताबिक चल रहा है और यान सही हालत में है। चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 के स्थापित होने के बाद 21 अगस्त से 1 सितम्बर के बीच (21, 28 , 30 अगस्त और 1 सितम्बर) चार और मैनुवर किए जाएंगे और चंद्रयान-2 को लगभग 114 किमी गुणा 128 किमी वाली कक्षा में लाया जाएगा।
इस कक्षा में आने के बाद 2 सितम्बर को लैंडर विक्रम आर्बिटर से अलग होगा और 7 सितम्बर को चांद की धरती पर उतरने के लिए अपनी यात्रा शुरू करेगा। लैंडर के चांद पर उतरने से पहले उसके भी दो मैनुवर होंगे।
चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई को जीएसएलवी मार्क-3 से किया गया था और इसे 14 अगस्त को चांद के प्रक्षेप पथ पर डाला गया था।

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