बेंगलूरु. गणेशबाग स्थानक में विराजमान साध्वी विजयलता ने प्रवचन में कहा कि आगम शास्त्र में धन से अधिक महत्व चरित्र का माना गया है। जीवन में उत्तम चरित्र ही सबसे श्रेष्ठ धन है। चरित्रहीन व्यक्ति को समाज में भी हेय दृष्टि से देखा जाता है । धन चोरी भी हो सकता है लेकिन शिक्षा और चरित्र सदैव अपने पास रहते हैं। आज के भौतिक युग में धन को ही अत्यधिक महत्व दिया जाता है । धनवान व्यक्ति के आगे बुद्धिमान व्यक्ति को भी चुप रहना पड़ता है। स्वयं की आत्मशान्ति के लिये चरित्रवान होना ही मनुष्य का परम लक्ष्य होना चाहिए। इसलिए बच्चों को जीवन निर्माण के प्रारंभ में ही चारित्र संस्कार की शिक्षा जरूर देनी चाहिए।