यहां शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए चव्हाण ने कहा कि नवम्बर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिपरिषद के सभी सदस्यों से 48 घंटे के भीतर अपनी परिसंपत्तियां घोषित करने को कहा था। हालांकि, पीयूष गोयल ने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा सौंपा लेकिन सुविधाजनक तरीके से फ्लैशनेट इंफो सोल्यूशंस में निदेशक के तौर पर अपनी और अपनी पत्नी सीमा गोयल से जुड़ी जानकारियां छुपा गए।
गोयल 25 नम्बर 2004 से 26 मई 2014 तक इस कंपनी के निदेशक रहे जबकि सीमा गोयल 1 अप्रेल 2009 से 26 मई 2014 तक निदेशक रहीं। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में वर्ष 2014 में शामिल किया गया और ऊर्जा तथा नवीनीकृत ऊर्जा मंत्रालय मिला। मंत्री बनने पर उन्होंने निदेशक पद छोड़ दिया लेकिन कंपनी के मालिक बने रहे। यह कंपनी सितंबर 2014 में पिरामल समूह को बेच दी गई लेकिन आय से जुड़ी जानकारियां पीएमओ को नहीं दी गई। यह कंपनी 48 करोड़ में बेची गई थी।
चव्हाण ने कहा कि पिरामल समूह का ऊर्जा क्षेत्र में काफी रुचि रहा है और गोयल का यह कदम हितों के टकराव का मामला बनता है। गोयल की स्वामित्व वाली कंपनी केवल 10.9 करोड़ रुपए की थी लेकिन इसे 48 करोड़ रुपए में बेचा गया था। बिक्री के बाद कंपनी का नाम आसान इंफो सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड होगया और वित्तीय वर्ष 2017 में उसे 14.78 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसके बाद पिरामल परिवार को कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा।
उन्होंने सवाल किया कि नवीनीकृत ऊर्जा कारोबार करने वाले पिरामल समूह ने आखिर क्यों इतनी बड़ी रकम लगाकर गोयल की स्वामित्व वाली कंपनी खरीदा। यह हितों के टकराव का मामला है और पीएमओ को इसकी जांच करानी चाहिए।