बेंगलूरु. विधायकों के
resignation से संकट में आई
HD kumarswamy के नेतृत्व वाली
Congress-Jds Coalition Government मानसून सत्र के दौरान majority साबित करने को तैयार है। राज्य विधानमंडल के 11 दिवसीय सत्र के पहले ही दिन शुक्रवार को अपने शुरुआती संबोधन में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने खुद ही विधानसभा अध्यक्ष के सामने
Vote of confidence प्राप्त करने का प्रस्ताव रखा।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही
speaker ने दिवगंत सदस्यों के सम्मान में शोक प्रस्ताव रखा और इस प्रस्ताव पर सदन के नेताओं से अपने विचार व्यक्त करने को कहा। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने पीठ को सूचित किया कि कुछ विधायकों द्वारा उठाए गए कदमों से
political uncertainty की स्थिति बनी है और सरकार के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लिहाजा वे इसी
monsoon session के दौरान अपना बहुमत साबित करने की दिनांक तय किए जाने की मांग करते हैं।
उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान वे अपना बहुमत साबित करने के लिए उनसे अनुमति व समय तय करने की मांग करते हैं। सीएम ने कहा कि वे सत्ता में नहीं बने रहना चाहते। अगर सदन का विश्वास हासिल है तो वे सत्ता में रहेंगे वर्ना वे इस पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहते।
उन्होंने स्वेच्छा से विश्वास मत हासिल करने का निर्णय किया है। हालांकि,
opposition ने शोक प्रस्ताव के दौरान इन मुद्दों के उठाने पर आपत्ति जताई। लेकिन, सदन में जैसे ही मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विश्वास मत का प्रस्ताव रखा, विपक्ष के नेता बी.एस. येड्डियूरप्पा विधानसभा से बाहर निकले और सीधे अपने कक्ष में पहुंच गए। इस दौरान जब उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि इस विषय पर चर्चा करने के बाद ही जवाब देंगे। वरिष्ठ भाजपा नेता केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि
chief minister को दिवंगत सदस्यों के शोक प्रस्ताव पर बोलना चाहिए। उन्हें खुद सोचना चाहिए कि शोक प्रस्ताव के बीच वे कैसे विश्वास मत की बात कर रहे हैं।
जब कहें सदन की कार्यवाही में कर लेंगे शामिल: स्पीकरविधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री जब भी बहुमत साबित करना चाहते हैं उन्हें मौका दिया जाएगा। स्पीकर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने मन की बात कही है कि भ्रम की स्थिति में वे सत्ता में बने नहीं रहना चाहते। वे सदन में विश्वास मत हासिल करना चाहते हैं। जिस दिन मुख्यमंत्री कहेंगे उसके अगले ही दिन के बिजनेस में उसे लिस्ट कर देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जब इस तरह की अपील की है तो उसे सुना जाना चाहिए। लेकिन, उनका काम बस इतना है कि जब वे विश्वासमत हासिल करना चाहें तब उस दिन की सदन की कार्यवाही में उसे शामिल कर दें।