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अनिवार्य हो शिशु की श्रवण क्षमता का परीक्षण: ब्रेट ली

locationबैंगलोरPublished: Sep 09, 2018 10:25:52 pm

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज व कोक्लीयर प्रत्यारोपण के वैश्विक राजूदत ब्रेट ली ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हीयरिंग का दौरा किया।

अनिवार्य हो शिशु की श्रवण क्षमता का परीक्षण: ब्रेट ली

अनिवार्य हो शिशु की श्रवण क्षमता का परीक्षण: ब्रेट ली

मैसूरु. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज व कोक्लीयर प्रत्यारोपण के वैश्विक राजूदत ब्रेट ली ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हीयरिंग का दौरा किया। चिकित्सकों और विद्यार्थियों से बातचीत की। वहां उपलब्ध आधुनिकतम सुविधाओं की जानकारी ली।


उन्होंने कहा, जन्म के बाद नवजातों के श्रवण शक्ति (सुनने की क्षमता) की जांच हो तो ऐसे बच्चों को आजीवन बहरेपन से बचाया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया में हर नवजात के लिए श्रवण क्षमता परीक्षण अनिवार्य है। केरल सरकार के ६६ सरकारी प्रसूति केंद्रों में नवजातों की पूर्ण जांच होती है। अन्य राज्यों को भी इस पर कार्य करना चाहिए। पहले चरण में ही समस्या की पहचान और निदान संभव है।


विश्व भर में श्रवण क्षमता के नुकसान से पीडि़त ४६६ मिलियन लोगों में से ३४ मिलियन बच्चे हैं। कोक्लीयर प्रत्यारोपण ऐसे बच्चों के लिए उम्मीद की किरण है। प्रौद्योगिकी व जागरूकता से कई प्रभावितों की मदद की जा
सकती है। इएनटी विशेषज्ञ डॉ. एच.ए. दतात्री ने कहा कि जन्म के प्रथम माह में ही शिशु के कानों की जांच और एक वर्ष की उम्र से कोक्लीयर प्रत्यारोपण संभव है।
माता-पिता और परिवार के लोगों को श्रवण शक्ति की हानि के सबसे छोटे लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।

प्रौद्योगिकी क्रांति से कई समस्याएं सुलझीं
मैसूरु. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हीयरिंग (एआइआइएसएच) व अंतरराष्ट्रीय स्पीच कम्युनिकेशन एसोसिएशन की ओर से शनिवार को आवाज, वाणी और श्रवण विकारों के लिए स्पीच प्रसंस्करण विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। जिसमें जर्मनी के रूर विश्वविद्यालय के प्रो. रेनर मार्टिन ने कहा कि प्रौद्योगिकी क्रांति से कई समस्याओं का समाधान हुआ।


मूक और बधिर मरीजों के उपचार में मदद मिली। बावजूद इसके अब भी कई अनसुलझे मुद्दे और चुनौतियां हैं। जवाब के लिए अनुसंधान पर निर्भर हैं। सम्मेलन के संयोजक अजीश अब्राहम ने बताया कि सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञ ३१ शोत्र पत्र प्रस्तुत करेंंगे। जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की विभिन्न शाखाओं के विशेषज्ञ भी शामिल हैं।

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