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बच्चों पर मंडरा रहा हृदय रोग का खतरा

locationबैंगलोरPublished: Nov 21, 2019 07:55:18 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

बच्चा अगर बार-बार छाती में दर्द और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत करे, दूध पीने में परेशानी हो रही हो, दूध पीते समय पसीना आता हो, शरीर नीला पड़ रहा हो और बिना कारण वजन घट रहा हो तो एक बार हृदय की जांच जरूर कराएं। क्योंकि हृदय के बाल मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

बच्चों पर मंडरा रहा हृदय रोग का खतरा

बच्चों पर मंडरा रहा हृदय रोग का खतरा

 

– एक दशक में 20 फीसदी बढ़े हृदय के बाल मरीज
– देर से गर्भधारण, गर्भावस्था के दौरान शराब और धूम्रपान बड़ा कारण

बेंगलूरु.

देश में हर वर्ष कंजेनाइटल हार्ट डिजीज (Congenital heart Disease) यानी जन्मजात हृदय रोग (CHD) के साथ पैदा होने वाले करीब 2.4 लाख बच्चों में से 50 हजार बच्चों का जन्म के एक वर्ष के अंदर उपचार जरूरी है। कुछ मामलों में तो नवजात के जन्म लेने के कुछ घंटों बाद या फिर उसी दिन ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। जन्मजात विकारों में करीब 28 फीसदी हिस्सेदारी सीएचडी की है। पीडियाट्रिक कार्डियक सोसायटी ऑफ इंडिया (Pediatric Cardiac Society of India) के अनुसार 10 में से एक बच्चा सीएचडी की चपेट में है। एक अनुमान के अनुसार देश में फिलहाल 2.5 करोड़ बच्चे, किशोर और वयस्क सीएचडी की चपेट में हैं।

जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्क्यूलर सांइसेस एंड रिसर्च (Jayadeva Institute of Cardiovascular Sciences and Research) के अध्ययन के अनुसार गत एक दशक में बच्चों के हृदय रोग के मामलों में 18-22 फीसदी वृद्धि हुई है। बच्चों में ज्यादातर दिल में सुराख होना, धमनियों का गलत जुड़ाव व रक्त नलियों में रुकावट के मामले सामने आते हैं। देर से गर्भधारण, प्रदूषण, गर्भावस्था में धूम्रपान और शराब का सेवन बड़े कारण हैं।

जेआइसीएसआर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल पाटिल ने बताया कि सीएचडी यानी गर्भावस्था (Pregnancy) में दिल के विकास के दौरान कुछ विकार रह जाने के मामलों में भी इजाफा हुआ है। इस समस्या से निपटने के लिए जेआइसीएसआर को प्रीमेच्योर हृदय क्लिनिक स्थापित करना पड़ा।

हृदय के विकारों से ग्रस्त ज्यादातर बच्चों में ये विकार जन्म के तुरंत बाद अपना असर नहीं दिखाते, कुछ बड़े होने पर बीमारियों के दौरान या सामान्य जांच के दौरान इनकी पहचान होती है। 30 वर्ष की आयु के बाद बच्चे को जन्म देने का मतलब है, बच्चे के हृदय को खतरे में डालना। डॉ. पाटिल के अनुसार भारत पहले से ही मधुमेह की राजधानी के रूप में जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार आने वाले समय में भारत हृदय के मरीजों की राजधानी कहलाएगा।

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