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आधार कार्ड ने तीन-चार साल पहले बिछड़े मासूमों को परिवार से मिलाया, इस तरह चला पता

locationबैंगलोरPublished: Mar 17, 2017 08:10:00 am

Submitted by:

santosh

सब्सिडी वाले रसोई गैस सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अनिवार्य बन चुका विशिष्ट पहचान पत्र ‘आधार’ अब परिवार से बिछड़ चुके लोगों को भी मिलवाने में मददगार साबित हो रहा है।

सब्सिडी वाले रसोई गैस सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अनिवार्य बन चुका विशिष्ट पहचान पत्र ‘आधार’ अब परिवार से बिछड़ चुके लोगों को भी मिलवाने में मददगार साबित हो रहा है। तीन-चार साल पहले अपनों से बिछड़ चुके तीन मासूमों को ‘आधार’ ने फिर से अपने परिजनों से मिलवा दिया। ये तीनों मानसिक रूप से कमजोर बच्चे हैं और शहर में स्थित मंदबुद्धि संस्थान में रहते थे। 
इन बच्चों में रायचूर से चार साल पहले लापता अंजू (10) और तीन साल पहले लापता आंध्र प्रदेश के चित्तूर का महादेव (16) और श्रीनिवास (12) शामिल हैं। तीनों मानसिक तौर पर कमजोर हैं। कानूनी औपचारिकता पूरी करने के बाद तीनों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। संस्थान को ये तीनों 2013-14 में भटकते मिले थे।
विशेष बच्चे होने के चलते तीन बच्चे अपना पता नहीं बता पा रहे थे। वे सिर्फ नाम बता पा रहे थे। बच्चों को जब आधार कार्ड बनवाने ले जाया गया तो पता चला कि तीनों बच्चों का आधार कार्ड पहले से ही बना है। इससे बच्चों की पहचान के साथ उनके घर का भी पता चल गया। 
अंजू की मां रेणुकम्मा के आधार कार्ड पर पता रायचूर का था। इसी तरह ड्डमहादेव, श्रीनिवास के परिजनों के आधार कार्ड का भी पता चला। श्रीनिवास के परिजन कृृष्ण और लक्ष्मी की पहचान आंध्र प्रदेश के चित्तूर निवासी के रूप में हुई जबकि महादेव के परिजन बसवराज का पता भी आधार कार्ड से सामने आया।
देश भर के बाल निकेतनों में इस तरह का अभियान चलाया जाना चाहिए। इससे बिछड़े बच्चों को परिजनों से मिलवाना संभव हो सकेगा।

मीना जैन, पूर्व अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, बेंगलूरु

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