पहला चरण : उत्तर-दक्षिण कोरिडोर-एस्टीम मॉल हेब्बाल से सिल्क बोर्ड जंक्शन तक। यह प्रस्तावित कोरिडोर-1 को जोड़ेगा। कुल लंबाई : 24.47 किमी
दूसरा चरण: पूरब-पश्चिम कोरिडोर-1-केआर पुरम से गोरगुंटेपाल्या तक जिसमें राममूर्तिनगर (रिंग रोड) भी शामिल होगा। यह कोरिडोर 2 और 3 को भी जोड़ेगा। कुल लंबाई : 41.2 किमी
तीसरा चरण: सीबीडी (सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट) में लूप बनेगा जो हडसन सर्किल, रिचमंड सर्किल, डबल रोड और जेसी रोड पर होगा और शांतिनगर बरसताी नाले (एसडब्ल्यूडी) तक फैला होगा। कुल कुल लंबाई : 10.08 किमी
चौथा चरण: पूरब-पश्चिम कोरिडोर-2 जो मिनर्वा सर्किल को आउटर रिंग रोड (ओआरआर) स्थित नाइस रोड जंक्शन से जोड़ेगा। कुल लंबाई : 9.25 किमी
पांचवा चरण: पूरब-पश्चिम कोरिडोर-2 जो वर्तुर कोडी से रिचमंड सर्किल के बीच होगा। कुल लंबाई : 17.04 किमी
आम आदमी पार्टी ने भी परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई है। पार्टी ने कहा है कि यह परियोजना अच्छे शहरी प्रशासन के हर मोर्चे पर नाकाम साबित होगी। बिना योजना और महानगरीय योजना समिति को नजरअंदाज कर लागू करने की कोशिश की जा रही है। जहां तक आम आदमी को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने, उपनगरीय रेल शुरू करने और लोगों के चलने लायक फुटपाथ बनाने पर ध्यान देना चाहिए वहीं सरकार निजी वाहनों और उनके मालिकों को ध्यान में रखकर एलिवेटेड कोरिडोर का निर्माण कराना चाहती है।
पार्टी ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना पर बड़े निवेश को देखते हुए भ्रष्टाचार की काफी गुंजाइश है। विशेषज्ञों का हवाला देते हुए पार्टी ने कहा कि बेंगलूरु शहर में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बढ़ाने की आवश्यकता है नहीं तो कितनी भी सड़कें और फ्लाई ओवर बन जाए निजी कार और बाइक के चलते यातायात जाम से मुक्ति नहीं मिलेगी। बड़े मेट्रो शहरों में यह साबित हो चुका है। इसलिए बीएमटीसी बसों की संख्या बढ़ाने के साथ ही फुटपाथ को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। अगर सरकार बेंगलूरु शहर को यातायात जाम से मुक्त करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए खर्च करने को तैयार है तो यह अच्छी बात है। लेकिन, तभी जब इस बड़ी राशि का सदुपयोग हो।