एक डेंटल कॉलेज की छात्रा के अभिभावक ने बताया कि टीका नहीं लगवाने के कारण कॉलेज ने कक्षा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। बेटी टीका लगवा सके इसके लिए उन्होंने कॉलेज प्रबंधन से कर्मचारी प्रमाणपत्र की मांग की लेकिन प्रबंधन ने मना कर दिया।
कॉलेज की प्रिंसिपल के अनुसार छात्रों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। 98 फीसदी छात्र व कर्मचारी टीका लगवा चुके हैं। टीका लगवाने तक, प्रभावित छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं।
राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के कुलपति डॉ. एस. सचिदानंद ने बताया कि सरकार ने टीका अनिवार्य नहीं किया है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधनों का छात्रों को रोकना गलत है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. अरुंधति चंद्रशेखर ने बताया कि 79 फीसदी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और 67 फीसदी फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण हुआ है। शेष लोग कर्मचारी प्रमाणपत्र के आधार पर या अब सिर्फ 45 वर्ष उम्र वाली प्रक्रिया के तहत टीका लगवा सकेंगे। हालांकि, इस वर्ग में छात्र नहीं आते हैं। किसी भी छात्र की उम्र इतनी नहीं है। प्रमाणपत्र जारी करने वाला व्यक्ति इसके लिए जिम्मेदार होगा।
डॉ. अरुंधति ने दावा किया कि राज्य में टीकेे का दुरुपयोग नहीं हुआ है। दरअसल, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को कुछ दिन पहले जारी आदेश में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए पंजीकरण रोकने के लिए कहा है। केंद्र के अनुसार गैर पात्र लोगों को भी टीके दिए गए हैं। पहले से पंजीकृत लोग टीका लगवा सकेंगे।