बैंगलोर

असंतुष्ट बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस का खेल

-टिकट बंटवारे में सिद्धरामय्या की खूब चली-आलाकमान ने दी खुली छूट, विरोधी रहे खाली हाथ

बैंगलोरApr 18, 2018 / 06:49 pm

Sanjay Kumar Kareer

congress party meeting Two leaders bump into each other

बेंगलूरु. सत्ता में वापसी के लिए चुनावी अभियान से लेकर हर रणनीति अपने स्तर से तैयार करने वाले मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को टिकट बंटवारे में भी आलाकमान ने लगभग खुली छूट दे दी। पार्टी द्वारा घोषित 218 सीटों के उम्मीदवारों में अधिकांशत: सिद्धरामय्या की ही मांग पूरी हुई और यहां तक की दूसरी पार्टियों को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले बगावती उम्मीदवारों को भी टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इस दौरान लोकसभा में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली के हाथ लगभग खाली रह गए।
राहुल गांधी के नेतृत्व वाली केंद्रीय चुनाव समिति ने लगभग सभी वर्तमान विधायकों के साथ-साथ मुख्यमंत्री के समर्थकों को टिकट दिया वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ जी.परमेश्वर के उस सुझाव को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने एक परिवार-एक टिकट की बात कही थी। टिकट बंटवारे के साथ ही सिरगुप्पा, लिंगसुगूर, तरिकेरे, टिपटूर, ब्याडगी और हानगल सहित बेंगलूरु में भी समर्थकों का आक्रोश भड़क गया और कार्यकर्ताओं ने यह आशंका जताई कि इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा। परमेश्वर के सुझावों के विपरीत चुनाव समिति ने सिद्धरामय्या को चामुंडेश्वरी और उनके बेटे डॉ यतींद्र को वरुणा, गृह मंत्री रामलिंगा रेड्डी को बीटीएम लेआउट और उनकी बेटी सौम्या रेड्डी को जयनगर, विधि मंत्री टीबी जयचंद्रा को सिरा और उनके बेटे संतोष जयचंद्रा को चिक्कनायकन हल्ली से टिकट दिया। वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे को कलबुर्गी जिले के चित्तापुर (सुरक्षित) से उम्मीदवार बनाया गया। एक कांग्रेस नेता ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में चुनाव जीतने की संभावनाओं को तो महत्व दिया गया ही है, सिद्धरामय्या ने उन उम्मीदवारों को भी टिकट दिलवाया जो पार्टी बदलकर कांग्रेस में आए। सिद्धरामय्या ने उन्हें टिकट दिलवाने का आश्वासन दिया था जिसे पूरा किया।
कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि जनता दल (ध) छोड़कर कांग्रेस में आने वाले बागी उम्मीदवारों को टिकट देने का विरोध खरगे ने किया था लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। खासतौर पर पुलकेशीनगर से चार बार विधायक रहे बी.प्रसन्न कुमार को खरगे टिकट दिलवाना चाहते थे लेकिन वहीं सिद्धरामय्या ने अखंड श्रीनिवास मूर्ति को टिकट दिलवाया। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री ने श्रीनिवासमूर्ति से टिकट का वादा किया था। वर्ष 2008 के चुनाव में प्रसन्न कुमार ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी लेकिन पिछले चुनाव में जनता दल (ध) के उम्मीदवार अखंड श्रीनिवासमूर्ति ने उन्हें 17 हजार मतों से मात दी थी। वहीं मोइली के लिए शुरू से ही सबकुछ विपरीत रहा। एक महीने पहले ही उन्होंने कह दिया था कि उनके बेटे हर्ष मोइली इस साल चुनाव नहीं लड़ेंगे। वे दोनों पार्टी की जीत में अपनी भूमिका निभाएंगे। हालांकि, मोइली प्रत्यक्ष रूप से खिन्न नजर आए। टिकट निर्धारण में सिद्धरामय्या की भूमिका इतनी प्रभावपूर्ण रही कि भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले कुछ दागी उम्मीदवारों को भी टिकट दिलवा दिए। अवैध खनन घोटाले के आरोपित रहे बी.नागेंद्र को बल्लारी से और आनंद सिंह को विजयनगर से टिकट दिलवाने में भी सिद्धरामय्या को कोई परेशानी नहीं हुई। वहीं मडिकेरी से एचएस चंद्रमौली को टिकट मिला जो कि हीरा कारोबारी मेहुल चौकसी के वकील हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजेश कलप्पा को भी यह पसंद नहीं आया और कहा जाता है कि वो काफी नाराज हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सिद्धरामय्या की बात मानते हुए बीदर (दक्षिण) से अशोक खेणी को टिकट दिया जिनके खिलाफ विकास परियोजनाओं में बड़े घोटालों का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि खरगे और मोइली शुरू से ही इन लोगों को टिकट देने के खिलाफ थे और पिछले दिनों मोइली के ट्विटर विवाद के केंद्र में यहीं लोग थे।
मंड्या में अभिनेता और रिबेल स्टार के उपनाम से मशहूर एमएच अम्बरीश को टिकट दिए जाने के खिलाफ बगावत के सुर बुलंद हैं क्योंकि वहां कार्यकर्ता स्थानीय नेता रवि कुमार के समर्थन में खड़े हैं। पिछले चुनाव में अम्बरीश यहां से 42 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। वहीं सीवी रमन नगर विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस नेता पी.रमेश ने बगावत कर दी और जनता दल (ध) में शामिल हो गए। कांग्रेस ने यहां से सम्पत राज को यहां से टिकट दिया है। सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने सिद्धरामय्या को रणनीति तय करने में पूरी स्वतंत्रता दी। यहीं रणनीति पंजाब में अपनाई गई जो सफल रही और अब दांव पर कर्नाटक है।

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