यहां संवाददाताओं से बातचीत में खरगे ने कहा कि छह दिसम्बर, 1992 को हुई घटना को लोगों ने देखा इसके बावजूद सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया जाना निराशाजनक है। जिस घटना को लाखों लोगों ने देखा हो, उसके बारे में ऐ्सा फैसला देना सही नहीं लगता है। इससे न्यायतंत्र में लोगों का भरोसा कमजोर होगा।
इतने सारे आरएसएस कार्यकर्ता कहां से आ गए खरगे ने आरोप लगाया कि सभी को रिहा करने में कोई पारदर्शिता नहीं है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली थी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के कारसेवकों को मस्जिद ढहाने के लिए उकसाया था। मस्जिद ढहाने के लिए भाजपा जिम्मेदार है क्योंकि अचानक एक साथ इतने सारे आरएसएस कार्यकर्ता कहां से आ गए।