मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने के बावजूद इसके इस्तेमाल की मात्रा अपेक्षानुरूप घटी नहीं है। इस पर नियंत्रण लगाने के लिए प्लास्टिक सामान के उत्पादन व बिक्री पर कर लगाना कारगर हो सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पर्यावरण के सरक्षण के लिए अनेक कानून लागू किए थे। 70 व 80 के दशक में बेंगलूरु शहर में गर्मियों में भी ऊनी कपड़े पहनकर घर से निकलने की स्थिति थी। अब पर्यावरण के प्रदूषण के कारण हालात उलट गए हैं और कई बीमारियों ने जन्म लिया है।
यही हालात जारी रहे तो आने वाली पीढिय़ों को शुद्ध हवा व पानी मिलना कठिन हो जाएगा। केवल सरकारी विभागों व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रयासों से ही नहीं बल्कि आम जनता के भी जागरूक होने से प्रदूषण रहित वातावरण उपलब्ध हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर हर साल करोड़ों वृक्ष लगाने के संबंध में वन विभाग व बीबीएमपी द्वारा आंकड़े पेश किए जाते हैं जो केवल किताबों तक सीमित हैं और हकीकत से इन आंकड़ों का कोई वास्ता नहीं होता है।
मुख्यमंत्री ने हरके नागरिक से अपने घर पर पौधरोपण करने व उसे वृक्ष के तौर पर विकसित करने के ईमानदारी स प्रयास करने की अपील की। इसी तरह कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर पर्यावरण मित्रवत उत्पादों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इससे ग्रामीण जनता विशेषकर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उनको रोजगार मिलने से ग्रामीणों का शहरों की तरफ पलायन रुकेगा। समाज व नीति निर्धारकों को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
मल्लेश्वरम के विधायक डॉ सीएन अश्वथनारायण ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। महापौर संपत राज, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मण, जानेमाने फिल्म अभिनेता दर्शन सहित अनेक गणमान्य, पर्यावरण प्रेमियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।