पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने रविवार को संबंधित माता-पिता के साथ बैठक कर उन्हें समझाया कि भारत के संविधान में प्रत्येक जाति, वर्ग, समुदाय के नागरिकों को समानता का दर्जा प्रदान किया गया है। समाज में जाति धर्म के आधार पर भेदभाव करना कानूनन जुर्म है। किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह छुआछूत और जाति भेद कर समाज में अशांति फैलाए। जो अभिभावक समझाइश के बावजूद नहीं माने, उन्हें पुलिस ने चेतावनी दी है।
दरअसल, बीदर जिले के आंगनबाड़ी में एक दलित महिला को बच्चों के लिए खाना बनाने को रखा गया। लेकिन, कई अभिभावकों के विरोध के बाद बाल विकास योजना अधिकारी ने अभिभावकों को समझाने के बजाय महिला को दूसरी नौकरी तलाशने के लिए कहा।
मामला प्रकाश में आने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग हरकत में आया। अधिकारियों ने सभी को समझाया और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से अवगत कराया। लेकिन, कुछ अभिभावक अब भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। पुलिस अधिकारियों ने उन्हें कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
असफलता से हताश नहीं हो विद्यार्थी: कुमारस्वामी
बेंगलूरु. पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने द्वितीय पीयू परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद विभिन्न जिलों में 8 विद्यार्थियों की आत्महत्या करने पर चिंता जताई।
उन्होंने यहां रविवार को ट्वीट कर कहा कि जीवन में उतार-चढ़ाव, सफलता-असफलता, अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों का धैर्य तथा साहस के साथ सामना करना चाहिए। परीक्षाओं में सफलता ही जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकता। आज के दौर में युवाओं के पास विकल्पों की कोई कमी नहीं है। किसी परीक्षा में कम अंक मिलने या अनुत्तीर्ण होने पर खुदकुशी करना सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कई मिसाल देखने को मिलती हैं कि स्कूल की परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने वाले कई लोगों ने अन्य क्षेत्रों में अपनी कुशलता के बलबूते पर सफलता हासिल की और कई कीर्तिमान भी स्थापित किए हैं। हमें ऐसे लोगों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।