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संक्रमण की चिंता से कोरोना विकार के शिकार हो रहे लोग

locationबैंगलोरPublished: Mar 30, 2020 02:32:58 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

-अवसाद, घबराहट, तनाव, अनिद्रा व जर्मोफोबिया बनी समस्या-अधिकांश लोग संदिग्ध लक्षणों के बिना भी कराना चाहते हैं जांच

संक्रमण की चिंता से कोरोना विकार के शिकार हो रहे लोग

संक्रमण की चिंता से कोरोना विकार के शिकार हो रहे लोग

निखिल कुमार

बेंगलूरु.

कोरोना संक्रमण की वैश्विक महामारी या पैंडेमिक (Corona Pandemic) को लेकर लोगों में चिंता बढ़ी है। लेकिन 20-30 फीसदी लोगों में यह विकार की हद पार चुका है। लोग कोरोना चिंता विकार की चपेट में आ रहे हैं। अवसाद, घबराहट, तनाव, अनिद्रा (Depression, nervousness, stress, insomnia) व जर्मोफोबिया (Germophobia – संक्रमित होने की अकारण आशंका) परेशान करने लगी है। गत दो माह में राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) के ओपीडी पहुंचने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है।

इंटरनेट पर संक्रमण लक्षण, जांच व उपचार के बारे में बार-बार सर्च करके कई लोग अपनी मनोदशा को तनाव व अवसादग्रस्त कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों को निकट भविष्य में कोरोना वायरस संक्रमण का डर सता रहा है। उपलब्ध उपचार को लेकर भी लोग ङ्क्षचतित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते पॉजिटिव मरीजों की संख्या के साथ भविष्य में ऐसे चिंतित मरीजों की संख्या बढऩे के पूरे आसार हैं। लोगों को चाहिए कि वे व्यर्थ की चिंता से खुद को दूर रखें और बचाव संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करें।

National Institute of Mental Health and Neurosciences के विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर लोग दो बातों को लेकर चिंतित हैं। पहला, क्या उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण की जांच करानी चाहिए। दूसरा, कोविड-19 बीमारी हो जाने के बाद क्या उपचार संभव है।

निम्हांस में मनोरोग विभाग के डॉ. देबंजन बनर्जी ने बताया कि निम्हांस के मनोरोग विभाग में में हर दिन 120 से भी ज्यादा मरीज परामर्श के लिए आते हैं। इनमें से करीब 30 फीसदी मरीज कोरोना वायरस संबंधित चिंता का उल्लेख कर पूछते हैं कि क्या उन्हें भी जांच करा लेनी चाहिए। बेंगलूरु ही नहीं बल्कि पुणे, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली व जयपुर (Pune, Mumbai, Kolkata, Delhi, Jaipur) से भी लोग फोन पर संपर्क कर जांच आदि के बारे में पूछताछ करते हैं।

डॉ. बनर्जी ने बताया कि उनके व्यक्तिगत नंबर या ईमेल पर हर रोज करीब 10 लोग संपर्क कर पूछते हैं कि क्या कोरोना वायरस खतरनाक है? लक्षण सामने नहीं आने के बावजूद क्या उन्हें भी एहतियातन जांच करानी चाहिए। निम्हांस के वायरोलॉजी विभाग के अनुसार फोन करने वाले मरीजों में से करीब 70 फीसदी जांच कराने की इच्छा जताते हैं।

संक्रमण फोबिया के लोग वास्तविक रूप में तो वायरस से ग्रसित नही होते है परन्तु उनकी मनोदशा संक्रमित होने की आशंका से भयाक्रात बनी रहती है । ऐसे लोगों को मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है। लोगों को चाहिए कि वे स्वयं को रचनात्मक व उत्पादक क्रिया कलापों में व्यस्त रखें तथा अनचाही सलाह से बचें।

5000 से भी ज्यादा काउंसलिंग सेशन

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहयोगी संस्था यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष) ने कोरोना विश्व महामारी सन्दर्भित मेंटल हेल्थ एंड साइको सोशल सपोर्ट (मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक समर्थन) टास्क समूह का गठन किया है। कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने में भी पॉजिटिव व संदिग्ध मरीजों के लिए मनोवैज्ञानिक मदद की व्यवस्था कर रखी है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा निदेशालय में संचार, शिक्षा व सूचना विभाग के विशेष अधिकारी डॉ. सुरेश शास्त्री ने बताया कि कोविड-19 के पुष्ट मरीजों, संदिग्धों व एहतियातन आइसोलेशन में रखे गए लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नियमित काउंसलिंग व परामर्श जारी है। पांच हजार से भी ज्यादा काउंसलिंग सेशन किए जा चुके हैं।

सुविधा : निम्हांस ने शुरू की हेप्पलाइन
चिंता, घबराहट व अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान ने एक हेप्पलाइन खोली है। जरूरतमंद लोग 080-46110007 पर संपर्क कर नि:शुल्क चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं। निम्हांस के निदेशक डॉ. बी. एन. गंगाधर ने बताया कि कोविड-19 महामारी से घिरे लोगों में विभिन्न तरह के मानसिक चिंताओं का अनुभव करना काफी स्वाभाविक है। इन चिंताओं से संबंधित जानकारी या मदद के लिए लोग निम्हांस से संपर्क कर सकते हैं।

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