डेल्टा से भी अधिक शक्तिशाली!
कर्नाटक कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. यू. एस. विशाल राव ने बताया कि दूसरी लहर के लिए मूलत: डेल्टा वेरिएंट जिम्मेदार रहे हैं। इसके कुल 13 उप-वंश की पहचान की गई है। राज्य में एवाइ-4 और एवाइ-12 का प्रसार ज्यादा है। एवाइ-4 सर्वाधिक है। एवाइ-4 को डेल्टा वेरिएंट के बेटे के रूप में प्रभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि इसके स्पाइक प्रोटीन में एक अलग तरह का बदलाव देखा गया है। जिस तरह से बेटे का स्वभाव पिता की तरह होता है उसी तरह से एवाइ-4 का स्वभाव डेल्टा वेरिएंट की तरह ही है। इसलिए इसे लेकर स्थिति ज्यादा चिंताजनक नहीं है। चिंता की बात यह है कि कोरोना वायरस नियमित रूप से खुद को बदल रहा है या प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में अब एवाइ-4.2 वेरिएंट सामने आया है। इसे डेल्टा के पाते के रूप में देख सकते हैं। पोते के दादा से भी शक्तिशाली होने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।
प्रसार के छह से दस फीसदी मामलों का कारण
डॉ. राव ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम और इजराल जैसे देशों में भी एवाइ-4.2 को लेकर चिंता जरूरत है। ये देश बड़े पैमाने पर जीनोम सीक्वेंसिंग कर रहे हैं। इन देशों के आंकड़े बताते हैं कि प्रसार के छह से दस फीसदी मामलों का कारण एवाइ-4.2 हैं। इस कारण इन देशों ने जारी वैश्विक अलर्ट में एवाइ-4.2 के ऊपर निगरानी बढ़ाने की बात कही है। कोरोना वायरस अभी भी म्यूटेट कर रहा है। विश्व में अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को वेरिएंट ऑफ कंसर्न माना गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी डेल्टा के किसी भी वेरिएंट को हल्के में नहीं लेने की हिदायद दी है।
देश में कुल 17 मामले
नोडल अधिकारी (जीनोम सीक्वेंसिंग) डॉ. वी. रवि ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग और विश्लेषण कर रही प्रयोगशालाओं के एक समूह आइएनएसएसीओजी के आंकड़ों के अनुसार देश भर में एवाइ-4.2 के कुल 17 मामलों की पुष्टि हुई है। आंध्र प्रदेश में सात, केरल में चार, तेलंगाना में दो, कर्नाटक में दो, जम्मू – कश्मीर में एक और महाराष्ट्र में एक मरीज की पुष्टि हुई।
…तब नहीं हुआ था इस उप-वंश का वर्गीकरण
उन्होंने बताया कि जब दोनों मरीज एवाइ-4.2 से संक्रमित हुए तो डेल्टा के इस उप-वंश का वर्गीकरण तक नहीं हुआ था। यूनाइटेड किंगडम के इसे वेरिएंट अंडर इंवेस्टीगेशन घोषित करने के बाद देश में जीनोम अनुक्रमित नमूनों का पुन: विश्लेषण किया गया और कुल 17 नमूने एवाइ-4.2 से संक्रमित पाए गए।