बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआइ) के कोविड प्रसूति सुविधा केंद्र में मई और अगस्त के बीच कोविड पॉजिटिव 216 महिलाएं मां बनीं। लेकिन समझाइश के बावजूद तकरीबन सभी ने स्तनपान से मना कर दिया।
वाणी विलास सरकारी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गीता शिवमूर्ति ने बताया कि कुछ मामलों में स्तनपान कराने के लिए मां मान भी जाए तो परिजन इजाजत नहीं देते हैं। जबकि, कुछ मामलों में मां का दूध निकालकर नवजात को पिलाया गया।
चिकित्सकों के अनुसार सितंबर के बाद से स्थिति बेहतर हुई। परिजनों और प्रसूताओं पर जागरूकता कार्यक्रमों और काउंसलिंग का असर दिखा। कई परिजन नवजातों को मां के साथ ही रहने देने लगे। बॉरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल में कोविड प्रसूति सुविधा केंद्र शिफ्ट किया गया। अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सी. एन. रेड्डी ने बताया कि बॉरिंग में अब तक कोविड पॉजिटिव 300 महिलाएं मां बनी हैं और किसी भी नवजात को मां से अलग नहीं किया गया। छह नवजात कोविड पॉजिटिव निकले थे। अब सभी स्वस्थ हैं।
स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि नवजातों को स्तनपान से दूर रखना और भी खतरनाक है। जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात के लिए स्तनपान बेहद आवश्यक है। नहीं तो शारीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर रह जाएगी। ऐसे शिशु पर कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा रहेगा।