scriptजीएसटी से भी नहीं रुका भ्रष्टाचार, रास्ते बदले | Corruption did not stop even with GST, the way changed | Patrika News

जीएसटी से भी नहीं रुका भ्रष्टाचार, रास्ते बदले

locationबैंगलोरPublished: Jan 28, 2020 07:15:21 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

बजट 2020 पर परिचर्चा

जीएसटी से भी नहीं रुका भ्रष्टाचार, रास्ते बदले

जीएसटी से भी नहीं रुका भ्रष्टाचार, रास्ते बदले

बेंगलूरु. केन्द्र सरकार को कर के माध्यम से प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि के लिए जीएसटी का सरलीकरण करना चाहिए ताकि सभी व्यापारी बिल से व्यापार करें और कर चोरी की कल्पना भी नहीं करें। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद भी भ्रष्टाचार थमा नहीं है, रास्ते बदल गए हैं। सरकार को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए व्यापारियों पर विश्वास करना होगा। केन्द्र सरकार के एक फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट को लेकर पत्रिका टीम ने व्यापारियों से उनकी राय जानी।
उद्यमी बाबूलाल ललवानी ने कहा कि दस प्रतिशत कच्चे माल पर तथा दस प्रतिशत बिक्री पर जीएसटी लगना चाहिए। इससे अधिक जीएसटी से व्यापार व उद्योग चौपट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उद्यमी को अभी खरीद पर १८ प्रतिशत व बिक्री पर १२ प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है, ज्यो किसी भी मायने में न्यायोचित नहीं है। जीएसटी १० प्रतिशत होने पर व्यापारियों व उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं उत्पादन भी बढ़ेगा। साथ ही जो भी व्यापारी व उद्यमी बिना बिल के कर चोरी कर व्यापार कर रहे हैं वे भी जीएसटी चुकाएंगे। इससे सरकार का खजाना ही बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि लघु उद्योगों के लिए कॉर्पोरेट कर कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत के लिए तो साढ़े सात लाख तक तो कर लगना ही नहीं चाहिए। ऐसा होगा तो आमजन राहत महसूस करेगा तथा कर ढांचा भी मजबूत होगा। प्रधानमंत्री का पांच साल में पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था करने का सपना भी पूरा हो सकेगा।
राजकुमार खटेड़ ने कहा कि जीएसटी के नियमों का सरलीकरण किया जाए। उन्होंने कहा कि बार-बार जीएसटी दरों में परिवर्तन से व्यापारियों का भरोसा सरकार की पॉलिसी से उठ जाएगा। सरकार को व्यापारियों व व्यापार को राहत देने वाली जीएसटी पॉलिसी बनाकर उस पर अमल करना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम कस सकेगी। उन्होंने कहा कि बिना बिल के व्यापार पर रोक लगे। तभी सरकार के पास पूरा कर भी पहुंच सकेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी लगने के बाद शुरू में तो लगा था कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है लेकिन अब भ्रष्टाचार फिर से सिर उठाने लगा है। सरकार को भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
ऑटोमोबाइल व्यापारी रमेश हरण ने कहा कि व्हीकल पर सरकार ने जीएसटी २८ प्रतिशत कर रखा है। इससे सरकार को राजस्व प्राप्त हो रहा हैै। उन्होंने कहा कि वाहनों के स्पेयर पाटर््स पर जीएसटी की दर कम की जानी चाहिए। इससे आमजन जो वाहन खरीदने के बाद वाहन की खराबी होने पर स्पेयर पाटïर््स का उपयोग करता है उस पर अतिरिक्त कर का भार नहीं पड़े। जीएसटी कम होगा तो व्यापारी भी स्पेयर पार्ट्स बिल से बेचेगा। इससे सरकारी खजाने में पहले की तुलना में अधिक राजस्व कर के रूप में प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि आज दुपहिया वाहन विलासिता की वस्तु नहीं रहा है यह मनुष्य की जरूरत बन गया है। बड़े से लेकर छोटा तबका भी दुपहिया वाहन का उपयोग करता है। इसलिए इस बजट में स्पेयर पाटर््स पर जीएसटी में कमी की जानी चाहिए।
ज्वैलरी व्यवसायी कांतिलाल खिंवेसरा ने कहा कि इस बजट में सरकारी अस्पतालों में साधन व संसाधन बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। वहीं निजी शिक्षण संस्थानों की लूट खसोट पर भी लगाम लगाने के लिए सरकार को प्रावधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी नागरिक सुरक्षित रहेंगे तो देश भी सुरक्षित रहेगा। सरकार यदि सरकारी चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के प्रयास करे तो आमजन मेडिकल सेस भी देने को तैयार है। उन्होंने निजी विद्यालय व महाविद्यालयों में फीस व डोनेशन के नाम पर मच रही लूट पर भी रोक लगाने की मांग की। सरकारी विद्यालयों को बढ़ाना चाहिए।
कपड़ा व्यापारी अशोक कुमार सुराणा ने कहा कि आज भाजपा केन्द्र मेें सरकार में है तो वह छोटे व मध्यम व्यापारियों के प्रयासों से है। व्यापारियों को उम्मीद थी की भाजपा सरकार में आएगी तो व्यापारियों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ समस्याएं और बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी को इतना सरल करना चाहिए कि व्यापारी को कोई परेशानी नहीं हो। उन्होंने कहा कि आज कोई पचास लाख का व्यवसाय कर पांच लाख रुपए कमाता है तो वह कमाई ऑडिटर व अकाउंटेंट के वेतन पर ही खत्म हो जाती है। व्यापारी करोड़ों खर्च करने के बावजूद ठगा सा महसूस कर रहा है। सुराणा ने कहा कि तीन चार साल से त्रैमासिक जीएसटी का रिर्टन भरा जा रहा था। सरकार ने इस बार वार्षिक रिर्टन भरने की बाध्यता कर व्यापारियों की परेशानी बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि व्यापार को स्थिर रखने के लिए व्यापारी को ११ सौ रुपए का कपड़ा साढ़े नौ सौ रुपए तक में बेचना पड़ रहा है। कारण कि ९९९ रुपए तक के कपड़े पर ५ प्रतिशत जीएसटी है तथा १००१ से ऊपर के कपड़े पर १२ प्रतिशत जीएसटी है।
इलेट्रिकल मार्केट एसोसिएशन से मनीष तातेड़ ने कहा कि सरकार ने अप्रेल २०२० से जीएसटी में इनवॉइस भी करने का आदेश दिया है। यदि इनवॉइस ही करनी पड़ी तो व्यापारी की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। अभी तक तो व्यापारी स्टॉक भी मेंटेन नहीं कर पाए हैं ऐसे नई स्कीम से व्यापारी की परेशानी बढ़ेगी। ये इनवॉइस फाइल भी जीएसटी के पोर्टल पर करनी होगी। ये बहुत घातक होगा। छोटे व मध्यम व्यापारी जीएसटी से अभी भी जूझ रहे हैं। नोट बंदी और जीएसटी के बाद व्यापारी संभल भी नहीं पाया है कि सरकार एक के बाद एक प्रहार करती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह वर्ग विशेष को दी जाने वाली सब्सिडी को बंद करे। सब्सिडी से मनुष्य पाने वाला मनुष्य कभी काम करने का प्रयास नहीं करता है।
वस्त्र व्यवसायी सुरेश कुमार चुत्तर ने कहा कि सरकार को इस बजट में आमजन को राहत देने के लिए जीएसटी का सरलीकरण करने पर ध्यान देना होगा। अभी रेडिमेड कपड़े को दो वर्गों में बांटकर जीएसटी वसूल किया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह रेडिमेड कपड़े पर न्यूनतम जीएसटी लागू करे ताकि व्यापारी के साथ ग्राहकों को भी राहत मिल सके।
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