कानूनी विकल्प तलाश रहे विप सभापति
अविश्वास प्रस्ताव का मामला कानूनविदों के साथ विचार-विमर्श

बेंगलूरु. विधान परिषद के सभापति प्रतापचंद्र शेट्टी ने भाजपा तथा जनता दल एस के सदस्यों की अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के परिप्रेक्ष्य में कानूनविदों के साथ विचार-विमर्श कर कानूनी संघर्ष की तैयारियां शुरू की हंै।बताया जा रहा है कि जब भाजपा के 11 सदस्यों ने 25 नवम्बर को प्रतापचंद्र शेट्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था तब वे उसी दिन सभापति पद से त्यागपत्र देने के लिए तैयार थे लेकिन कांग्रेस के नेता सिद्धरामय्या तथा विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष एसआर पाटिल ने उनको भाजपा तथा जनता दल-एस के बीच हुए मेल को उजागर करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का सदन में सामना करने की हिदायत दी थी।
तीनों दलों ने किया मर्यादा का उल्लंघनविधान परिषद में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस तथा जनता दल तीनों दलों के सदस्यों ने सदन की मर्यादा का उल्लंघन किया है। विधान परिषद में उनके कार्यकाल के दौरान ऐसी शर्मसार करने वाली घटना होने के कारण वे स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं। तीनों दलों के सदस्यों ने संयम से काम लिया होता तो इसे टाला जा सकता था।
१७ विधायकों को मिला मंत्री का दर्जा
बेंगलूरु. मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा ने बुधवार को १७ भाजपा विधायकों को मंत्री का दर्जा दे दिया। ये सभी निगम-बोर्डों में अध्यक्ष हैं। १३ निगम-बोर्ड अध्यक्षों को काबीना मंत्री का दर्जा दिया गया है जबकि ४ को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है। इनमें से कुछ मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे थे।
मंत्रिमंडल का विस्तार भी लंबित है। एम चंद्रप्पा, दुर्योधन आईहोले, नेहरु ओलेकर, राजू गौड़ा, के. शिवनगौड़ा नायक, कलकप्पा बंडी, शंकर पाटिल, केएम विरुपाक्षप्पा, सिद्धू सवदी, एएस पाटिल नडहल्ली, दत्तात्रेय पाटिल रेवूर, पी राजीव, एसवी रामचंद्र को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है जबकि राजकुमार पाटिल, सीएस निरंजन कुमार, एएस जयराम और एन लिंगण्णा को राज्य मंत्री का दर्जा मिला है।
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