इसरो का यह मिशन अंतरिक्ष विभाग के तहत गठित न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआइएल) का पहला मिशन है। यह पूर्ण वाणिज्यिक मिशन है जिसमें ब्राजीली उपग्रह अमेजोनिया-1 के साथ स्पेसकिड्ज का सतीश धवन सैट (एसडीसैट), यूनिटीसैट, सिंधुनेत्र, साइ-1 नैनो कनेक्ट-2 तथा अमरीका के 12 स्पेसबीज उपग्रह लांच होंगे। यूनिटीसैट तीन उपग्रहों का मिश्रण है जो जेप्पियार इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (श्रीपेरुमबदूर), जी एच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और श्री शक्ति इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (कोयंबटूर) का संयुक्त उपक्रम है।
ब्राजील की शीर्ष अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (आइएनपीइ) द्वारा तैयार 637 किलोग्राम वजनी अमेजोनिया-1 पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद दुनिया के सबसे बड़े उष्णकटिबंधीय वर्षावन अमेजन के पारिस्थितिक तंत्र की निगरानी करेगा।
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पडऩे वाले वनों में यहीं सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है। वहीं, स्पेसकिड्ज का एसडीसैट 25 हजार लोगों के नाम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी लेकर जाएगा। यह 1 घंटे 55 मिनट 7 सकेंड का मिशन होगा। लांच के 17 वें मिनट (17 मिनट 23 सेकेंड) बाद सबसे पहले मुख्य पे-लोड अमेजोनिया-1 अपनी कक्षा में स्थापित हो जाएगा। लांच के 1 घंटे 52 मिनट बाद शेष उपग्रहों का अपनी कक्षा में स्थापित होने का सिलसिला शुरू होगा। मिशन के दौरान पीएसएलवी का चौथा चरण दो बार स्टार्ट और बंद किया जाएगा। इस मिशन केलिए इसरो तीसरी बार पीएलएलवी-डीएल का प्रयोग कर रहा है। पीएसएलवी के इस संस्करण में रॉकेट के पहले चरण में केवल दो स्ट्रैप-वंस मोटर लगाए जाते हैं। पहली बार माइक्रोसैट-आर के प्रक्षेपण में पीएसएलवी के इस संस्करण का उपयोग किया गया था।
श्रीहरिकोटा का मौसम प्रक्षेपण के अनुकूल है। कोरोना के कारण तमाम एहतियात भी बरते जा रहे हैं। आम आदमी को प्रक्षेपण देखने के लिए तैयार किया गया दर्शक दीर्घा बंद है। उधर, इसरो अध्यक्ष के शिवन परंपरा के मुताबिक शनिवार को तिरुमला मंदिर गए और प्रक्षेपण से पहले पूजा अर्चना की। प्रक्षेपण से पहले इसरो वैज्ञानिक रॉकेट की प्रतिकृति लेकर इस मंदिर में आते हैं और विशेष पूजा की जाती है।