इसरो निदेशक (जनसंपर्क) देवी प्रसाद कार्णिक ने बताया कि आईआरएनएसएस-1आई/पीएसएलवी सी-41 मिशन की 32 घंटे की उलटी गिनती मंगलवार रात 8.04 बजे शुरू हुई और यह सुचारू रूप से चल रही है। उलटी गिनती के दौरान यान के चौथे चरण में तरल प्रणोदक भरने की प्रक्रिया चल रही थी। इससे पहले मिशन की तैयारियों की समीक्षा करने वाली समिति (एमआरआर) और प्रक्षेपण अधिकरण बोर्ड (एलएबी) की बैठक में 32 घंटे की उलटी गिनती की मंजूरी दी गई। आईआरएनएसएस-1आई नाविक श्रृंखला के पूर्ववर्ती उपग्रहों की तरह 1425 किलोग्राम वजनी है और इसमें भी दो पे-लोड हैं। एक नेविगेशन पे-लोड और दूसरा रेंजिंग पे-लोड। इनका परिचालन एल-5 और एस बैंड पर होगा। नेविगेशन पे-लोड उपभोक्ताओं को नौवहन सेवाओं के सिग्नल संचारित करेगा। बेहद सटीक समय बताने वाली रूबिडियम परमाणु घडिय़ां नेविगेशन पे-लोड का एक हिस्सा हैं। वहीं रेंजिंग पे-लोड में सी-बैंड ट्रांसपोंडर है जो उपग्रह के सटीक रेंज निर्धारण में सहायक होता है। इसके अलावा इसमें कॉर्नर क्यूब रेट्रो रिफ्लेक्टर्स हैं जो लेजर रेंजिंग के काम आएंगे। वहीं यह पीएसएलवी की 43 वीं उड़ान है।
पीएसएलवी सी-41 इस उपग्रह को प्रक्षेपण के लगभग 20 मिनट बाद 28 4 किमी (पेरिगी) गुणा 20,6 50 किमी (एपोगी) वाली उप भू-स्थैतिक अंतरण कक्षा (सब जीटीओ) में स्थापित करेगा। सब जीटीओ में स्थापित होने के साथ ही उपग्रह के दोनों सौर पैनल तैनात हो जाएंगे और हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ) उसे नियंत्रित कर लेगा। कुछ मैनुवर के बाद इसे कक्षा में उठाकर 55 डिग्री पूर्व देशांतर में 29 डिग्री के झुकाव पर इसे 36 हजार किमी वाली भूस्थैतिक कक्षा में भेज दिया जाएगा जहां यह ऑपरेशनल होगा। यह नेविगेशन उपग्रह ‘आईआरएनएसएस-1 ए’ की जगह लेगा जिसकी तीनों परमाणु घडिय़ां खराब हो चुकी हैं और वह अपनी उपयोगिता खो चुका है।
पीएसएलवी सी-41 इस उपग्रह को प्रक्षेपण के लगभग 20 मिनट बाद 28 4 किमी (पेरिगी) गुणा 20,6 50 किमी (एपोगी) वाली उप भू-स्थैतिक अंतरण कक्षा (सब जीटीओ) में स्थापित करेगा। सब जीटीओ में स्थापित होने के साथ ही उपग्रह के दोनों सौर पैनल तैनात हो जाएंगे और हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ) उसे नियंत्रित कर लेगा। कुछ मैनुवर के बाद इसे कक्षा में उठाकर 55 डिग्री पूर्व देशांतर में 29 डिग्री के झुकाव पर इसे 36 हजार किमी वाली भूस्थैतिक कक्षा में भेज दिया जाएगा जहां यह ऑपरेशनल होगा। यह नेविगेशन उपग्रह ‘आईआरएनएसएस-1 ए’ की जगह लेगा जिसकी तीनों परमाणु घडिय़ां खराब हो चुकी हैं और वह अपनी उपयोगिता खो चुका है।