वन विभाग के अनुसार गत वर्ष 15 Tigers की मौत हुई थी। इनमें दो शिकार के मामले भी थे। इस साल की शुरुआत में, विभाग ने नागरहोले टाइगर रिजर्व के बफर जोन में एक बाघ की खाल, पंजे और नाखून बेचने की कोशिश के दौरान छह लोगों को गिरफ्तार किया था।
बुढ़ापा और क्षेत्रीय लड़ाई बड़ा कारण
मुख्य वन्यजीव वार्डन विजयकुमार गोगी ने बताया कि बुढ़ापा और क्षेत्रीय लड़ाई के कारण ज्यादातर मौतें हुई हैं। कर्नाटक में पिछले साल अवैध शिकार के दो मामले सामने आए थे। इसके अलावा, कुछ बाघ, जो पुराने हैं और जंगल में नहीं रह सकते हैं या प्रजनन नहीं कर सकते हैं, उन्हें वन विभाग के पुनर्वास और बचाव केंद्र में भेजा जाता है। कुछ अधेड़ उम्र के बाघों को भी पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। आम तौर पर ये वे बाघ होते हैं, जो क्षेत्रीय लड़ाई में घायल हो जाते हैं। एक बार जब वे बचाव केंद्र में होते हैं और लंबे समय तक इलाज चलता है। कई बार इन बाघों को वापस जंगल में छोडऩा मुश्किल हो जाता है क्योंकि वे अपनी प्राकृतिक शिकार प्रवृत्ति खो देते हैं।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में इस साल अब तक सबसे अधिक 27 बाघों की मौत हुई है जबकि महाराष्ट्र में 15, असम में पांच, केरल और राजस्थान में चार-चार, उत्तर प्रदेश में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार में एक-एक बाघ की मौत हुई हैं।
एनटीआर में शुरू होगी दो और सफारी
मैसूरु. Nagarhole Tiger Reserve (एनटीआर) में दो और जगहों पर सफारी शुरू होगी। सब कुछ ठीक रहा तो नवंबर-दिसंबर में पर्यटक इसका लुत्फ उठा सकेंगे। काउंटर स्थापित करने सहित प्रारंभिक कार्य शुरू हो गया है। कोडुगू जिले के तिथीमठी में हुणसूर-गोनिकोप्पा मार्ग पर पहला जबकि मैसूरु जिले के पेरियापटाना तालुक के मुथुर गांव में अनेचोकुर रेंज में दूसरा Safari होगा। नागरहोले में पहले से ही तीन सफारी का संचालन हो रहा है। दो सफारी के जुडऩे से कुल संख्या पांच हो जाएगी, जो राज्य में किसी टाइगर रिजर्व के लिए सबसे अधिक है।
पर्यावरणविदों को डर है कि पर्यटकों के आवागमन से शांत इलाकों में हलचल बढ़ जाएगी और इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सरकार के इस कदम ने वन्यजीव और संरक्षण कार्यकर्ताओं को भी चिंता में डाल दिया है।
पर्यावरण कार्यकर्ता गिरिधर कुलकर्णी ने कहा कि दो नए सफारी पॉइंट खुलने के बाद अधिकारियों को वीरानाहोसाहल्ली और नानाछी गेट पर सफारी पॉइंट को बंद कर देना चाहिए। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र के 20 फीसदी से ज्यादा हिस्से में पर्यटन क्षेत्र नहीं हो सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि यह सफारी अलग है। नए मार्ग बफर जोन तक ही सीमित रहेंगे और कोर जोन को नहीं छूएंगे।
नागरहोले टाइगर रिजर्व के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई सुविधा को एनटीसीए ने अनुमोदित किया है। एनटीसीए ने बफर जोन में पर्यटन का प्रस्ताव किया है ताकि कोर एरिया पर दबाव कम किया जा सके। हम ऐसी सफारी नहीं देख रहे हैं, जो बाघ या हाथी केंद्रित हो। हम चाहते हैं कि जनता वन स्थलाकृति का अनुभव करे।