स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले दो हफ्तों में राज्य भर में 10,000 बेड वाले सीसीसी स्थापित किए गए हैं, लेकिन इनमें बहुत कम ऑक्सीजन युक्त बेड हैं। परिणामस्वरूप, इनमें से ३० प्रतिशत से कम बेड पर पर मरीज भर्ती हो रहे हैं। अकेले बेंगलुरु में लगभग 30 सीसीसी में 2,500 बिस्तर हैं, जिनमें 500 ऑक्सीजन वाले बेड शामिल हैं। सभी में केवल 750 बिस्तरों पर ही रोगी भर्ती हुए हैं।
घर में ही पृथकवास पसंद बेंगलूरु के एक सरकारी मातृत्व घर में कोविड देखभाल केन्द्र के एक कर्मचारी ने कहा कि लोग कोविड देखभाल केन्द्रों में भर्ती होने के बजाय घर में ही आइसोलेट होना पसंद कर रहे हैं। इसकी एक वजह तो परिवार से अलग होने का डर है और दूसरी वजह यह कई रोगियों को लगता है कि सीसीसी की तुलना में अस्पताल में मरीजों को भर्ती करना सुरक्षित है क्योंकि अगर उनकी स्थिति अचानक बिगड़ जाती है तो मरीजों को अस्पताल में इलाज मिल जाता है।
सीसीसी में मरीज को भर्ती कराने से इनकार धारवाड़ में सामने आए एक मामले में एक मरीज का प्लेटलेट काउंट गिर रहा था, उसेे सीसीसी में भेजा गया जहां ऑक्सीजन युक्त बिस्तर था। जिस अस्पताल ने मरीज को रेफर किया था उसके पास कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं था। लेकिन परिवार के सदस्यों ने सीसीसी में मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया।
मालूम हो कि पिछले साल भी बेंगलूरु अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी केन्द्र में सरकार ने 10,000 बेड का कोविड सेंटर खोला था जिसमें महज 10 प्रतिशत रोगी ही आ पाए थे।
मालूम हो कि पिछले साल भी बेंगलूरु अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी केन्द्र में सरकार ने 10,000 बेड का कोविड सेंटर खोला था जिसमें महज 10 प्रतिशत रोगी ही आ पाए थे।
ऑक्सीजन युक्त बेडों पर हो ध्यान स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना कि कोविड देखभाल केन्द्र खोलने के बजाय सरकार को ऑक्सीजन युक्त बेड मुहैया कराने पर जोर देना चाहिए। ज्यादा चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ की सेवाएं लेनी चाहिए। इसके साथ ही ज्यादा आईसीयू बेड उपलब्ध कराना ही समय की मांग है।