scriptCrab trend is increasing in society and nation - Muni Arhatkumar | समाज एवं राष्ट्र में केकड़ा प्रवृति बढ़ती जा रही-मुनि अर्हतकुमार | Patrika News

समाज एवं राष्ट्र में केकड़ा प्रवृति बढ़ती जा रही-मुनि अर्हतकुमार

locationबैंगलोरPublished: Sep 27, 2022 07:29:41 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

सिवांची मालानी की संगोष्ठी

समाज एवं राष्ट्र में केकड़ा प्रवृति बढ़ती जा रही-मुनि अर्हतकुमार
समाज एवं राष्ट्र में केकड़ा प्रवृति बढ़ती जा रही-मुनि अर्हतकुमार
बेंगलूरु. जैन सिवांची मालानी तेरापंथ संघ बेंगलूरु के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन मुनि अर्हतकुमार के सान्निध्य में तेरापंथ भवन गांधीनगर में हुई। मुनि ने कहा जीव-के जीवन में मुख्य प्रधानता कर्म की है। उसे वैसा ही फल मिलता है। मानव स्वभाव है कि वह अपने परिजनों के लिए अच्छे-बुरे परिणाम की परवाह किए बिना धनोपार्जन का प्रयास करता है। इसमें सफल होने पर उस समय वह प्रसन्नता भी महसूस करता है, लेकिन इसके परिणाम बाद में उसी व्यक्ति को भुगतने होंगे। जिसने ऐसा किया है, परिजन उसकी पीड़ा को नहीं बांट सकते। ईष्यालु व्यक्ति उस माचिस की तीली के समान है जो स्वयं भी जलती है एवं दूसरों को भी जला देती है। आज प्रत्येक परिवार, समाज एवं राष्ट्र में केकड़ा प्रवृति बढ़ती जा रही है। जिसमें उत्थान के स्थान पर पतन हो रहा है। इसी प्रकार क्रोधी, शंकालु और दूसरों के भाग्य भरोसे जीने वाला व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा दुखी रहता है। दुनिया में कई तरह के बंधन होते हंै जैसे जंजीर का, रस्मों का, विवाह का, मोहा का, सब बंधनों में कर्म बंधन सबसे जटिल हैं। दुनिया का प्रत्येक प्राणी वर्गों के कारागृह में बंदी है। वस्तु तुम्हें छोड़ दे तो मौत है, तुम वस्तुओं को छोड़ दो तो मोक्ष है, जो बार-बार आए वो मौत है, जो एक बार आए वर मोक्ष है। मोक्ष का राही पदार्थों में कभी आसक्त नहीं होता। एक बार किसी मुर्दे को देख लेता है। उसे देखकर शवयात्रा को छोड़ कर शिव यात्रा पर निकल पड़ता है। मुनि भरत कुमार ने लोगस्स का जाप करवाया। अध्यक्ष रतन संकलेचा ने सभी का स्वागत किया। मंत्री धर्मेश कोठारी ने विचार व्यक्त किए।
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