महिला शक्ति के आगे अपराधी भी थर्राते हैं
आरपीएफ की शक्ति टीम एकल महिला यात्रियों के लिए कवच
महिला शक्ति के आगे अपराधी भी थर्राते हैं
बेंगलूरु. दक्षिण पश्चिम रेलवे के बेंगलूरु मंडल ने जुलाई २०१९ में महिला यात्रियों को परेशानी मुक्त यात्रा कराने के उद्देश्य से महिला आरपीएफ कर्मियों की दो विशेष टीमों का गठन किया था। इनका नाम कर्नाटक की प्रसिद्ध रानियों रानी (शक्ति टीम ए) चेन्नम्मा और (शक्ति टीम बी) रानी अब्बक्का के नाम पर रखा था। रेलवे ने टीमों का जैसा नाम रखा वैसा ही काम भी हो रहा है। दोनों ही टीमों के शौर्य और अदम्य साहस के चलते अपराधी महिलाओं से वारदात करने से भी कतराते हैं।
अपर मंडल रेल प्रबंधक कुसुमा हरिप्रसाद ने ‘पत्रिका’ को बताया कि बेंगलूरु मंडल में मेरी सहेली टीमों को केएसआर बेंगलूरु (एसबीसी), यशवंतपुर (वाईपीआर) और सर एम विश्वेश्वरैया टर्मिनल (एसएमवीटी), बैयप्पनहल्ली स्टेशनों पर तैनात किया गया है। टीमों ने अब तक देशभर में 19395 ट्रेनों की जांच की और 7,28,537 यात्रियों से उनकी परेशानी मुक्त यात्रा कराने में मदद की है। बेंगलूरु मंडल में दोनों टीमों ने रेलवे अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत 7492 अपराधियों को पकड़ा और साथ ही असामाजिक तत्वों द्वारा अपहरण, बाल तस्करी, किशोर बंधुआ मजदूरी, अंग व्यापार आदि को विफल कर दिया।
दोनों टीमों ने बेंगलूरु मंडल में कुल 334 ट्रेनों को एस्कॉर्ट किया और रास्ते में यात्रियों की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए वास्तविक समय पर उनका समाधान किया। रेलवे सुरक्षा बल की दोनों शक्ति टीमों ने 33 बच्चों को भी गलत हाथों में बेचे जाने से बचाया है जिनमें 26 लडक़े और 07 लड़कियां शामिल हैं।
कुसुमा हरिप्रसाद ने बताया कि रेलवे की इस कार्रवाई से प्रभावित होकर रेलवे बोर्ड ने सितम्बर 2020 में दक्षिण पूर्व रेलवे में “मेरी सहेली” नाम से एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसमें विभिन्न स्टेशनों पर आने/जाने वाली ट्रेनों की निगरानी के लिए विशेष टीमों के रूप में महिला आरपीएफ कर्मियों की टीम को तैनात किया गया है।
“मेरी सहेली” टीम का मुख्य उद्देश्य सभी क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है। इसका उद्देश्य ट्रेनों से यात्रा करने वाली महिला यात्रियों को शुरुआती स्टेशन से गंतव्य स्टेशन तक उनकी पूरी यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान करना है। महिला यात्रियों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने के बाद, इसे 10 जनवरी 2019 से इसे सभी रेलवे जोन तक बढ़ा दिया गया। प्रारंभिक स्टेशन पर युवा महिला आरपीएफ कर्मियों की एक टीम महिला यात्रियों, विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वालों के साथ बातचीत करती है। इन महिला यात्रियों को यात्रा के दौरान बरती जाने वाली सभी सावधानियों के बारे में बताया जाता है और कहा जाता है कि अगर उन्हें कोच में कोई समस्या आती है या कोई समस्या दिखती है तो वे 139 नंबर डायल करें। आरपीएफ टीम केवल महिलाओं की सीट संख्या एकत्र करती है और उसे रास्ते के उन स्टेशनों पर भेजती है जहां ट्रेनों का ठहराव होता है। रास्ते में रुकने वाले स्टेशनों पर प्लेटफार्म ड्यूटी वाले आरपीएफ कर्मी संबंधित कोचों और बर्थों पर निगरानी रखते हैं और जरूरत पडऩे पर महिला यात्रियों से बातचीत करते हैं। आरपीएफ/आरपीएसएफ का एस्कॉर्ट अपनी ड्यूटी अवधि के दौरान सभी कोचों/चिह्नित शायिकाओं को भी कवर करता है।
गंतव्य पर आरपीएफ की टीमें चिन्हित महिला यात्रियों से फीडबैक एकत्र करती हैं, फिर फीडबैक का विश्लेषण किया जाता है और सुधारात्मक कार्रवाई, यदि कोई हो तो की जाती है। यदि “मेरी सहेली” पहल के अंतर्गत आने वाली किसी ट्रेन से कोई संकटपूर्ण कॉल आती है, तो कॉल के निपटान की निगरानी वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर की जाती है।
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