कर्म समस्या धर्म समाधान: प्रवीण ऋषि
बेंगलूरु. उपाध्याय प्रवीण ऋषि ने हीराबाग़ स्थानक में कहा कि हमें मनुष्य जन्म मिला यह हमारा सौभाग्य है। हम जीवन को जी भी सकते हैं और जीवन को सुधार भी सकते हैं। मनुष्य अपने जीवन को जी भी सकता है और बना भी सकता है। मनुष्य अपनी आत्मा को परमात्मा बना सकता है। जो अपने जीवन को बना नहीं सकता वह कभी ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकता। ऊंचाई पर पहुंचने का हौसला सिर्फ़ मनुष्य के पास है। जीवन में जो मिला है वह महत्वपूर्ण नहीं है हम जो बना सकते हैं वह महत्वपूर्ण है। इसीलिए मनुष्य जन्म को दुर्लभ कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिसे जीवन को सुधारने की कला आती है वह व्यक्ति चिंता से दूर रहता है। मनुष्य के जीवन में हमें अवसर मिला है कि हम अपने जीवन को परिवर्तित कर सकते हैं। मनुष्य में सुधरने की सोच जन्मती है वही सौभाग्य है। जिनके पास यह सोच है वह स्वयं ही नहीं औरों को भी सुधारते हैं। हमें अपने जीवन में समस्या को छोड़ समाधान पर नजऱ रखनी होगी तभी हमारा जीवन सफल होगा। उपाध्याय का प्रवचन 12 जुलाई तक हीराबाग स्थानक में रहेगा।
बेंगलूरु. उपाध्याय प्रवीण ऋषि ने हीराबाग़ स्थानक में कहा कि हमें मनुष्य जन्म मिला यह हमारा सौभाग्य है। हम जीवन को जी भी सकते हैं और जीवन को सुधार भी सकते हैं। मनुष्य अपने जीवन को जी भी सकता है और बना भी सकता है। मनुष्य अपनी आत्मा को परमात्मा बना सकता है। जो अपने जीवन को बना नहीं सकता वह कभी ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकता। ऊंचाई पर पहुंचने का हौसला सिर्फ़ मनुष्य के पास है। जीवन में जो मिला है वह महत्वपूर्ण नहीं है हम जो बना सकते हैं वह महत्वपूर्ण है। इसीलिए मनुष्य जन्म को दुर्लभ कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिसे जीवन को सुधारने की कला आती है वह व्यक्ति चिंता से दूर रहता है। मनुष्य के जीवन में हमें अवसर मिला है कि हम अपने जीवन को परिवर्तित कर सकते हैं। मनुष्य में सुधरने की सोच जन्मती है वही सौभाग्य है। जिनके पास यह सोच है वह स्वयं ही नहीं औरों को भी सुधारते हैं। हमें अपने जीवन में समस्या को छोड़ समाधान पर नजऱ रखनी होगी तभी हमारा जीवन सफल होगा। उपाध्याय का प्रवचन 12 जुलाई तक हीराबाग स्थानक में रहेगा।