इससे पहले हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी दलील में कहा कि यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक क्लासिक मामला है। हिरासत के दौरान चार लोगों के बयान दर्ज किए गए। जब डीके शिवकुमार से उन बयानों के संदर्भ में पूछताछ की गई तो उन्होंने टालमटोल किया। वे सहयोग नहीं कर रहे हैं। बयानों के आधार पर उनके तीन बैंक खातों में 200 करोड़ रुपए की संपत्ति का पता चला है जबकि 20 से अधिक बैंकों का विवरण सामने आया है। परिवार और सगे-संबंधियों के जरिए इन खातों में 5 बड़ी जमाएं हुई हैं जिनके कारणों को ठीक से नहीं बताया गया है। आरोपी के परिवार के सदस्यों से बड़ी मात्रा में संपत्ति मिली है। जमा दस्तावेजों से यह पता चलता है कि 200 करोड़ से 8 00 करोड़ रुपए की लॉन्ड्रिंग की गई। एजेंसी का मानना है कि जांच के दौरान और भी संपत्तियों के बारे में पता चलेगा।
तो अब क्यों जवाब दे देंगे हालांकि, जज ने पूछा कि आपको लगता है कि वे पांच दिन में पूरे जवाब दे देंगे। अगर उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है तो अब क्यों जवाब दे देंगे? इस पर ईडी ने कहा कि अन्य बयानों के साथ डीके शिवकुमार के बयान की पुष्टि जरूरी है। इसपर जज ने पूछा कि क्या उनपर कोई अपराध दर्ज हुआ है? ईडी ने कहा कि जांच अभी चल रही है, अभियोजन बाद में होगा। यह मनी लॉन्ड्रिंग का एक क्लासिक मामला है। जज ने कहा कि वे दूसरी बार इस मामले को सुन रहे हैं।
इसके बाद डीके शिवकुमार की ओर से पेश हुए जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तारी 3 सितंबर को हुई थी और 9 दिन की हिरासत अवधि भी खत्म हो चुकी है। हर रोज 10 घंटे यानी 100 घंटे पूछताछ हुई है। एक दिन छोडक़र हर रोज उनसे पूछताछ हुई है। डीके शिवकुमार एक दिन पहले अस्पताल में थे और उनका ब्लड प्रे्रशर काफी ज्यादा था। ईडी उनकी मेडिकल रिपोर्ट दबा रही है। तीन दिन की पूछताछ के बाद 10 दिन उन्हें हिरासत में रखा गया और अभी तक कुल 130 घंटे से ज्यादा पूछताछ हो चुकी है। उन्हें गहन चिकित्सकीया निगरानी में होना चाहिए।