अपने सभी प्रयासों के बावजूद मैं इसे अपनी जन्मभूमि से अपनी कर्मभूमि में नहीं बढ़ा पाया। आज संविधान पर खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। बसपा में शामिल होने के बाद दानिश अली ने कहा कि जद (एस) में रहते हुए भी मैंने कभी कुछ नहीं मांगा।एचडी देवगौड़ा ने जो काम सौंपा, मैंने वह किया। मैं देवगौड़ा जी का आशीर्वाद और अनुमति लेने के बाद यहां आया हूं।
बहनजी मुझे जो काम देंगी, वह काम मैं करूंगा। अली ने जद (एस) और कांग्रेस के बीच गठबंधन कराने से लेकर सीटों के बंटवारे तक सभी कामों में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दानिश अली के जाने से जद (एस) को बड़ा आघात पहुंचा है।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने ट्वीटकर कहा कि दानिश अली उनकी और देवगौड़ा की सहमति से बसपा में गए हैं और यह दोनों पार्टियों के बीच एक सोची समझी राजनीतिक रणनीति के तहत लिया गया फैसला है।
उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य दोनों पार्टियों का लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतना है। दूसरा पहलू यह भी
दानिश अली का अचानक जद (एस) को छोड़ कर बसपा में जाना पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का माना जा रहा है। वे पार्टी के महत्वपूर्ण समन्वयक के रूप में काम कर रहे थे। बेंगलूरु और नई दिल्ली के बीच अली की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थी।
दानिश अली का अचानक जद (एस) को छोड़ कर बसपा में जाना पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का माना जा रहा है। वे पार्टी के महत्वपूर्ण समन्वयक के रूप में काम कर रहे थे। बेंगलूरु और नई दिल्ली के बीच अली की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थी।
उनके इस तरह पार्टी छोडऩे से अब जद (एस) को उनकी तरह सशक्त विकल्प तलाशना होगा। लेकिन यह आसान काम नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार अली को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें राज्यसभा में भेजेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दूसरी ओर एक-एक सीट के लिए कड़े संघर्ष के बीच जद (एस) के पास उनके लिए कर्नाटक में कोई संसदीय क्षेत्र नहीं है इसलिए अली ने अपने गृह राज्य की ओर बढऩा ही उचित समझा। बताया जा रहा है कि अली बसपा के टिकट पर अब मेरठ से चुनाव लड़ेंगे।