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कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम के विरोध में जुटे पॉन ब्रोकर्स

locationबैंगलोरPublished: Aug 02, 2019 06:04:02 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

कर्नाटक स्टेट ज्वेलर्स फेडरेशन (केएसजेएफ – Karnataka State Jewellers Federation) ने कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम (Debt Relief Act) को पॉन ब्रोकर्स (Pawnbrokers) के लिए घातक बताया है। कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय किया है। व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा को ज्ञापन देकर उनकी समस्या के समाधान का आग्रह किया है।

memorandum to Chief Minister

कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम के विरोध में जुटे पॉन ब्रोकर्स

-कानूनी जंग का ऐलान

-केएसजेएफ उच्च न्यायालय में दाखिल करेगा याचिका

-मुख्यमंत्री येडियूरप्पा को सौंपा ज्ञापन

बेंगलूरु. कर्नाटक स्टेट ज्वेलर्स फेडरेशन (केएसजेएफ – Karnataka State Jewellers Federation) ने कर्नाटक ऋण राहत अधिनियम (Debt Relief Act) को पॉन ब्रोकर्स (Pawnbrokers) के लिए घातक बताते हुए इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय किया है। इसी संदर्भ में गुरुवार को यहां व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा को ज्ञापन देकर उनकी समस्या के समाधान का आग्रह किया है।

कर्नाटक स्टेट ज्वेलर्स फेडरेशन (KSJF) की गुरुवार को राजाजीनगर क्षेत्र स्थित राघवेन्द्र मठ में फेडरेशन के महासचिव बी. रामाचारी, संयुक्त सचिव ओ. वी दिवाकर और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सुदर्शन जैन के नेतृत्व में विशाल बैठक हुई। इसमें तमिलनाडु पॉन ब्रोकर्स एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष स्वामी तेजस्वरूप मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे।

बैठक में फेडरेशन से जुड़े कर्नाटक के विभिन्न जिलों के पदाधिकारियों, सदस्यों सहित बड़ी संख्या में पॉन ब्रोकर्स के साथ ही केएसजेएफ के पदाधिकारियों और सदस्यों ने पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्ववाली सरकार की ओर से पारित इस अधिनियम की निंदा करते हुए इसके खिलाफ कानूनी संघर्ष का फैसला किया गया। उल्लेखनीय है कि हाल ही राष्ट्रपति द्वारा इस अधिनियम को मंजूरी देने के बाद कुमारस्वामी ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी कर देने की जानकारी दी थी।

फैडरेशन के महासचिव डॉ. बी. रामाचारी ने इस कानून को संविधान विरोधी करार देते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्र में ऋण लेन-देन की व्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी। विषम स्थिति में ग्रामीणों को ऋण मुहैया कराने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कानून की आड़ में समाज के जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करने वालों को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान की धारा 19 तथा 21 का उल्लंघन है। इसलिए इसके खिलाफ संगठित संघर्ष की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पॉन ब्रोकर्स कोई अवैध व्यापार नहीं करते। ऐसे व्यापारियों का भी पंजीकरण होता है और सरकार से ही लाइसेंस मिलता है। ये आयकर भुगतान भी करते हैं। यह कानून कर्नाटक के छोटे-छोटे गांवों में फैली लेन-देन की सहज व्यवस्था पर सीधा हमला है।

इसके मुताबिक किसी ने यदि ऋण के लिए आभूषण गिरवी रखे हैं तो वह इसकी सूचना सहायक जिलाधिकारी (एसी) को देकर गिरवी रखे आभूषण बगैर किसी पुनर्भुगतान के प्राप्त कर सकता है। डॉ. रामाचारी ने कहा कि इस कानून के जरिए तो गिरवी व्यापारियों को एक खलनायक की तरह पेश कर दिया गया है। किसानों की ऋण माफी योजना में बैंको को राज्य सरकार की ओर से ऋण राशि का भुगतान किया जाता है। लेकिन, यहां गिरवी व्यापारियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

ऐसे में संविधान की धारा 21 का भी उल्लंघन होता है। आनन-फानन में लाए गए इस कानून से आम आदमी को कोई लाभ नहीं। इसके खिलाफ शीघ्र ही कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी। जरूरतमंदों को आगामी दिनों में ऋण कौन उपलब्ध कराएगा। इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सुदर्शन जैन के अनुसार कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए यह कानून बनाया। अगर सरकार गरीबों की मदद करना चाहती है तो वह सीधे गरीबों के साथ संपर्क कर उन्हें सब्सिडी आदि प्रदान कर सकती थी।
लेकिन, यहां गरीबों की मदद करने वालों पर ही कुठाराघात किया गया है। इससे छोटे किसानों को खाद, बीज के लिए ऋण नहीं मिल पाएगा। छोटे गावों के किसान वित्तीय तंगी के चलते गिरवी व्यापारियों से ऋण प्राप्त करते हैं। इससे दोनों को ही फायदा होता है। लेकिन, अब इससे केवल गिरवी व्यापारियों को ही निशाना बनाया गया है।

बैठक में केएसजेएफ संगठन से जुड़े Mandya , Mysuru , Chamrajnagar, Kgf, अरसीकेरे सहित राज्य के 30 जिलों तथा 175 तहसील इकाई के पदाधिकारियों, सदस्यों सहित करीब एक हजार व्यापारियों ने हिस्सा लिया।

मुख्यमंत्री को ज्ञापन
अधिनियम के विरोध में गुरुवार को पूर्व पार्षद कविता जैन, फैडरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर वी के जैन, सम्पतराज जैन के नेतृत्व में shivmogga के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा को भी ज्ञापन सौंपकर इस कानून का विरोध करते हुए इसमें सुधार या निरस्त कराने की मांग रखी गई। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि व्यापारी चिंता न करें। वे उनकी हर समस्या पर गौर करेंगे और कानून सम्मत निराकरण के प्रयास करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में सुधीश जैन, हरीश शर्मा, भरत जैन, हितेष जैन, गिरीश, महेन्द्र सहित करीब बीस पदाधिकारी और सदस्य शामिल थे।

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