कुमारस्वामी ने कहा कि किसी मंत्री या विधायक ने ऋण माफी योजना का विरोध नहीं किया है। इतनी बड़ी मात्रा में ऋण माफी के बारे में सरकार जल्द ही नीतिगत निर्णय लेगी। पिछली सरकार ने किसानों का 50 हजार तक का सहकारी कृषि ऋण माफ किया था जिससे 8100 करोड़ रुपए से ज्यादा का भार सरकारी खजाने पर पड़ा था। इस बार ऋण माफ करने से खजाने पर 10 हजार करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। इसके साथ ही सरकार को राष्ट्रीयकृत बैंकों के कृषि का विवरण भी जुटाना है। मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग के अधिकारियों को कृषि ऋण माफी से पडऩे वाले वित्तीय भार के बारे में वस्तुपरक रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए।
कुमारस्वामी ने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए 17 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता है। इसके अलावा पिछली सरकार की प्रमुख योजनाओं व कार्यक्रमों को भी जारी रखने की बाध्यता है। इन तमाम मसलों को ध्यान में रखते हुए वे सरकार के निर्णय की बजट में घोषणा करने के बारे मे सोच रहे हैं।
बैठक में सहकारिता मंत्री बंडप्पा काशमपुर, कृषि मंत्री एन.एच. शिवशंकर रेड्डी, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री शिवानंद पाटिल, मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डा. एस. सुब्रमण्या के अलावा जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, पदाधिकारियों तथा कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों ने भाग लिया।
ऋण माफी से मुझे नहीं मिलेगा कमीशन
कुमारस्वामी ने सोमवार को ऋण माफी और नए बजट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पर तंज करते हुए कहा कि वे किसी के रहमो-करम पर मुख्यमंत्री नहीं हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि वे कितने पद पर हैं लेकिन जितने भी पद रहेंगे, जनता की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि पद पर रहते हुए हमने कितना और कैसा काम किया।
कुमारस्वामी ने सोमवार को ऋण माफी और नए बजट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या पर तंज करते हुए कहा कि वे किसी के रहमो-करम पर मुख्यमंत्री नहीं हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि वे कितने पद पर हैं लेकिन जितने भी पद रहेंगे, जनता की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि पद पर रहते हुए हमने कितना और कैसा काम किया।
पार्टी के चुनावी वादे के मुताबिक कृषि ऋण माफ करने की प्रतिबद्धता दुहराते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि वे संकट में घिरे किसानों की मदद करना चाहते हैं। कर्ज के बोझ से दबे किसानों को राहत दिलाने के लिए सरकार कृषि ऋण माफी पर विचार कर रही है लेकिन इससे उन्हें कोई कमीशन नहीं मिलेगा। कुमारस्वामी ने कहा कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आएं वे किसानों का कर्ज माफ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस वादे को पूरा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने जिला सहकारी बैंकों से ऋण माफी योजना के क्रियान्वयन में सहयोग की अपील करते हुए कहा कि इससे किसानों को सीधे फायदा होगा।
कुमारस्वामी ने कहा कि ऋण माफर करने से मुझे कोई कमीशन नहीं मिलेगा लेकिन मैं उनलोगों के बारे मेंं जानता हूं जो ऐसा करते हैं। कुुमारस्वामी के इस बयान को प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में सिद्धरामय्या पर किए गए पलटवार के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछली सिद्धरामय्या की सरकार को दस प्रतिशत कमीशन वाली सरकार करार दिया था। भाजपा का नाम लिए बिना कहा कि दूसरे दलों के नेता जनता के सामने कर्ज माफ नहीं किए जाने पर आंदोलन करने की बात करते हैं लेकिन यह गठबंधन सरकार है और हर फैसले से पहले सहयोगी दल को भी विश्वास में लेना पड़ता है।