या तो, मुख्यमंत्री कुमारस्वामी मतविभाजन का सामना करेंगे या संख्या बल को देखते हुए इस्तीफे का विकल्प चुनेंगे। दोनों इस बात पर निर्भर है कि सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के पास कितने विधायक रहते हैं।
विश्वासमत पर दो दिनों की चर्चा के दौरान 224 सदस्यीय विधानसभा में सत्ता पक्ष में 98 विधायक मौजूद रहे हैं (स्पीकर को छोडक़र) वहीं भाजपा के खेमें में 105 विधायक सदन में उपस्थित रहे हैं।
दो निर्दलीय विधायक मतदान के समय भाजपा के खेमे में आ सकते हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद सत्ता पक्ष को बागियों को मनाने में कोई कामयाबी नहीं मिली है। मुंबई में डेरा जमाए बागियों ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि वे बेंगलूरु नहीं लौटेंगे और सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे।
इस्तीफा देने वाले 15 विधायकों के अलावा कांग्रेस के दो अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल और बी.नागेंद्र के सदन में आने की उम्मीद बेहद कम है। एन महेश ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे सदन में नहीं रहेंगे।
भाजपा अपनी संख्या बल को लेकर पूरी तरह आश्वस्त
अगर दो निर्दलीय अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं तो 18 विधायकों की अनुपस्थिति में विधानसभा में सदस्यों की संख्या 205 होगी और बहुमत साबित करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन को 103 विधायकों की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में देखना होगा कि बहस पूरी होने के बाद मुख्यमंत्री क्या फैसला करते हैं। क्या वे मतविभाजन कराना चाहेेंगें? क्योंकि, दूसरी तरफ भाजपा अपनी संख्या बल को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आती है।
अब देर करना अनैतिक: येड्डियूरप्पा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को विश्वासमत की प्रक्रिया में अब और विलंब नहीं करना चाहिए। स्पीकर केआर रमेश कुमार और मुख्यमंत्री दोनों ने आश्वस्त किया है कि सोमवार को सब कुछ हो जाएगा। अब अगर वे ऐसा करने में नाकाम होते हैं तो यह अनैतिक होगा।