scriptप्रकृति के हाथों मानव अहंकार का पराभव: आचार्य देवेन्द्र सागर | Defeat of human ego at the hands of nature: Acharya Devendra Sagar | Patrika News

प्रकृति के हाथों मानव अहंकार का पराभव: आचार्य देवेन्द्र सागर

locationबैंगलोरPublished: Apr 09, 2020 09:57:01 pm

राजाजीनगर लूणिया भवन में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि मृत्यु निश्चित है। वह सूचना देकर नहीं आती, लेकिन महामारियां मृत्यु के जयघोष के साथ आक्रमण करती हैं।

प्रकृति के हाथों मानव अहंकार का पराभव: आचार्य देवेन्द्र सागर

प्रकृति के हाथों मानव अहंकार का पराभव: आचार्य देवेन्द्र सागर

बेंगलूरु. राजाजीनगर लूणिया भवन में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि मृत्यु निश्चित है। वह सूचना देकर नहीं आती, लेकिन महामारियां मृत्यु के जयघोष के साथ आक्रमण करती हैं। मौत का भय भयानक सामाजिक रूप लेता है। संप्रति मानवता ऐसे ही मृत्युभय से कांप रही है। यह प्रकृति के हाथों मानव अहंकार का पराभव है। दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत भी महामारी से संघर्षरत है।
कोरोना के अंत के बाद का विश्व सोच-विचार, आचार-व्यवहार और आहार आदि की आदतों में भिन्न होगा। विज्ञान को अपनी सीमा का पता चल गया है। प्रकृति की अनंत शक्ति का परिचय मिल गया है। स्वयं को महाशक्ति मानने वाले देश आत्मसमर्पण कर रहे हैं। विश्व इतिहास में अपने ढंग की यह पहली आपदा है। भारत के धर्म, दर्शन और लोकव्यवहार में अनुकूलन की शक्ति है। आपदाओं में आश्चर्यजनक एकता और सामान्य जीवन में अनेकता यहां की प्रकृति है।
आचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा इस समय आपातकालीन परिस्थिति के रूप में है। देश के भीतर पारस्परिक मत-मतांतर हो सकते हैं, पर हमारा राष्ट्र धर्म सर्वोपरि होना चाहिए। अप्रियता, अप्रमाणित आरोप, तथ्यहीन निंदा, असंतोष तथा अवसाद फैलाने वाले कोरोना से भी अधिक घातक हैं। हम सभी भारतीयों को स्वत: संकल्प लेकर सजग रहना चाहिए। इतना ही नहीं, प्रत्येक नागरिक को अपना राष्ट्र धर्म का निर्वहन करना होगा।
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