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प्रेम की परिभाषा शब्दों से संभव नहीं-डॉ. कुमुदलता

locationबैंगलोरPublished: Apr 04, 2020 06:56:33 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

गैलेक्सी कन्वेंशन हॉल से सम्बोधन

प्रेम की परिभाषा शब्दों से संभव नहीं-डॉ. कुमुदलता

प्रेम की परिभाषा शब्दों से संभव नहीं-डॉ. कुमुदलता

मैसूरु. सिद्धार्थनगर स्थित गैलेक्सी कन्वेंशन हॉल में विराजित साध्वी डॉ.कुमुदलता ने कहा कि ढाई अक्षर का छोटा सा शब्द ‘प्रेमÓअपने आप में कितने सारे भावपूर्ण अर्थ समेटे हुए है। इस छोटे से शब्द की विस्तृत सत्ता तथा महिमा के संबंध में न जाने कितने ही कवियों, गीतकार, शायर, संत महात्माओं द्वारा बहुत कुछ कहा गया एवं लिखा जा चुका है। अब कुछ और लिखे जाने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है। फिर भी इसके महत्व को अनुभवी व्यक्ति द्वारा अपने मत में लिखे जाने का सिलसिला अनवरत जारी है। अभी भी ऐसा ही लगेगा कि बहुत कुछ लिखा जाना शेष है। ऐसा कहा जाता है कि प्रेम को अभिव्यक्त करने की सर्वोत्तम भाषा मौन है। क्योंकि प्रेम मानव मन का वह भाव है जो कहने सुनने के लिए नहीं बल्कि समझने के लिए होता है या उससे भी बढ़कर महसूस करने के लिए होता है। प्रेम ही मानव जीवन की नींव है। प्रेम की परिभाषा शब्दों की सहायता से संभव नहीं है। प्रेम को शब्द रूपी मोतियों की सहायता से भावना की डोर में पिरोया तो जा सकता है किन्तु उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती है। प्रेम के अभाव में जीवन कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं है। प्रेम इंसान की आत्मा में चलने वाला एक पवित्र भाव है। जहां प्रेम है, वहां समर्पण है। जहां समर्पण है, वहां अपनापन है, और जहां अपनेपन की भावना है, वहां यह भावनारूपी उपजाऊ जमीन है जिस पर ही प्रेम का बीज अंकुरित होने की संभावना है। जिस प्रकार सीने के लिए धड़कन जरूरी है। उसी तरह जीवन के लिए प्रेम आवश्यक है। तभी तो प्रेम केवल जोडऩे में विश्वास रखता है न कि तोडऩे में। सच्चा प्रेम वह होता है जो अपने प्रिय के साथ हर सुख-दु:ख, धूप-छांव, पीड़ा आदि में हर कदम सदैव साथ रहता है और अहसास कराता है कि मैं सदैव तुम्हारे साथ हूं। जिसे प्रेम का झरना बहाना आ गया बस उसे तो दुनिया की सारी सृष्टि खूबसूरत नजर आने लगती है। प्रेम के कई रूप हैं। माता-पिता, भाई-बहिन, मित्र, स्कूल कॉलेज में मित्रों का प्रेम, दाम्पत्य जीवन में पति-पत्नी का प्रेम। प्रेम ही हमारे जीवन की आधारशिला है। तभी मानव जीवन के आरंभ से ही धरती पर प्रेम की पवित्र निर्मल गंगा हमारे कदम के साथ बह रही है। प्रेम एक खूबसूरत अहसास है। जिस व्यक्ति के पास प्रेम भरा दिल है वह सदैव दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता है। हम जो देते है वह हमें मिलता है। अगर हम किसी को प्रेम देंगे तो हमें भी प्रेम अवश्य मिलेगा। प्रेम एक जज्बा है। जिसके लिए हम सब तरसते हैं। जिस समय हम पैदा हुए हंै उसी दिन से प्रेम की लालसा करते हैं। छोटे बच्चे जो इस दुनिया में प्रवेश करते हैं। वे इस बात से अनजान हैं कि यहां क्या होता है? अगर कोई एक चीज है जो वे समझते हैं वह है-प्रेम, प्यार। वे अपने दादा दादी के साथ लम्बे समय तक रहना पसंद करते हैं, क्योंकि वे अपने स्पर्श और व्यवहार से प्यार महसूस कर सकते हैं। मां-बच्चे का रिश्ता सबसे मजबूत बताया जाता है। इसका एकमात्र कारण है-प्रेम। मां बच्चे को नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करती है। उदाहरण-एक शिक्षक जो बच्चों से प्यार से पेश आता है उसे सभी पसंद करते है। जो टीचर कठोर होते है उन्हें कोई पसन्द नहीं करता। इसी तरह हम उन रिश्तेदारों को से प्यार करते है जो हमसे प्यार करते है, जो हमारे साथ अच्छा व्यवहार करते है।

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