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बीबीएमपी की परियोजनाओं में इस कारण होगी देरी

locationबैंगलोरPublished: Apr 10, 2018 04:57:49 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

बीबीएमपी के बजट को मंजूरी के लिए करना होगा नई सरकार का इंतजार

BBMP
बेंगलूरु. वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) बजट में घोषित परियोजनाओं में देरी होने की संभावना है क्योंकि राज्य सरकार ने अभी तक 9,322 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना को मंजूरी नहीं दी है। चंूकि अब राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है इसलिए यह तब तक नहीं होगा जब तक कि 15 मई को मतगणना के बाद नई सरकार बनने की रूपरेखा तय न हो जाए। राज्य में इस समय चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू है इसलिए बीबीएमपी की ओर से न तो नई परियोजनाओं की घोषणा हो सकती है और ना ही किसी काम के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा सकती हैं। बीबीएमपी अधिकारियों के अनुसार बजट को कार्यान्वित करने में समय लगेगा। चूंकि बजट में अधिसूचित खर्च को राज्य सरकार की मंजूरी मिलनी है, इसलिए अब नई सरकार के गठन के बाद ही इसे साकार किया जा सकता है।
इस बार के बजट में शहर में हेलीपैड का निर्माण, वाई-फाई जोन, बस स्टेशन, वुडन स्काइवॉक, वर्षाजल संचयन प्रणाली की स्थापना, मेयर और आयुक्त के लिए बंगला निर्माण, जन स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर प्रमुखता से ध्यान आदि प्रमुख कार्यक्रम हैं,जिनकी घोषणा २८ फरवरी को बजट में की गई थी। हालांकि बीबीएमपी ने इन घोषणा में सिर्फ एक ही योजना को त्वरित रूप से साकार करने में स्फूर्ति दिखाई थी जो पार्षदों को आई-पैड (टेबलेट) वितरण था। घोषणा के मात्र ४८ घंटों के भीतर इसे कार्यान्वित कर बीबीएमपी ने एक अनोखा इतिहास रचा था। शहरी विशेषज्ञों का कहना है कि शहर का बजट बहुत महत्वपूर्ण है और इसे जल्दी से लागू करने की आवश्यकता है। अधिकारियों को पता था कि चुनाव आ रहे हैं और तुरंत बजट को मंजूरी देनी चाहिए। बजट धन का आधा राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। बावजूद इसके इसमें देरी की गई।
जानकारों के अनुसार बजट एक वार्षिक योजना है, लेकिन चुनावों के कारण, नागरिक जरूरतों से जुड़े मुद्दों को अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और सरकार के बीच समन्वय की कमी के कारण बजट स्वीकृति को लटका दिया गया। गौरतलब है कि वर्ष 2013 के दौरान भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी। उस वर्ष भी विधानसभा चुनाव होने के कारण ठेकेदारों के बिलों का भुगतान लटका दिया गया था जिस कारण ठेकेदारों को प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा था।
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