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जमीन पर फंसा पेंच, मेट्रो के काम में विलंब

locationबैंगलोरPublished: Jul 16, 2018 11:08:41 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में विवाद की जड़ मुआवजा

Namma Metro

जमीन पर फंसा पेंच, मेट्रो के काम में विलंब

बेंगलूरु. नम्मा मेट्रो के दूसरे चरण के लिए नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कोरिडोर एंटरप्राइजेज (नाइस) के कब्जे से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुए एक साल से अधिक हो गए मगर बाधाएं अभी भी दूर नहीं हुई हैं। बेंगलूरु मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमआरसीएल) के अधिकारियों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में विवाद की जड़ मुआवजा है।
बीएमआरसीएल अधिकारियों के मुताबिक नाइस के कब्जे वाली जमीन तीन श्रेणियों में विभाजित है। पहली श्रेणी की जमीन वह है जिसे कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्रीय विकास बोर्ड (केआइएडीबी) ने एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए अधिगृहित किया था और बाद में बिक्रीनामा नाइस के नाम लिख दिया। दूसरी श्रेणी की जमीन वह है जिसे अधिसूचित तो किया गया लेकिन भू-स्वामियों को मुआवाजा नहीं दिया गया। वहीं तीसरी श्रेणी की जमीन वह है जिसे सरकार ने नाइस को लीज पर दिया था।
बीएमआरसीएल को आठ एकड़ जमीन की आवश्यकता है। इनमें से पांच एकड़ केआइएडीबी वाली जमीन है जिसके मुआवजे का भुगतान कर नाइस को हस्तांतरित किया गया था। वहीं 2.5 एकड़ जमीन अधिसूचित हुई लेकिन ना तो मुआवजे की राशि तय हुई और ना ही उसका भुगतान भू-स्वामियों को हुआ। लगभग 1170 वर्ग मीटर जमीन नाइस को 30 साल के लिए लीज पर मिला था।
दरअसल, तूमकूरु रोड में मेट्रो परियोजना के लिए इस जमीन की आवश्यकता हैहै। इसमें 5.27 एकड़ जमीन मदवरा गांव में और 2.03 एकड़ जमीन दोड्डाथोगारु और कोनप्पन अग्रहारा में चाहिए जो होसूर रोड में एलिवेटेड मेट्रो कोरिडोर के लिए चाहिए। बीएमआरसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि मेट्रो परियोजना चारों हिस्सों में चल रही है और मैसूरु रोड एवं कनकपुरा रोड में काम काफी तेजी से चल रहा है। वहीं होसूर रोड पर मेट्रो स्टेशन निर्माण के लिए नाइस की जमीन चाहिए। जमीन अधिग्रहण में हो रहे विलंब से परियोजना की प्रगति पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
कनकपुरा एवं मैसूरु रोड के बीच मेट्रो लाइन वर्ष 2019 में शुरू करने की योजना है। उन्हें लगता है कि इस समस्या का समाधान बिना सरकार के हस्तक्षेप के नहीं होगा। वहीं नाइस के प्रवक्ता ने कहा कि बातचीत आखिरी दौर में है। वे जमीन देने को तैयार हैं। चिन्हित जमीन के अधिग्रहण और दिए गए मुआवजे को लेकर कुछ मुद्दे रह गए हैं जिस पर चर्चा की जरूरत है।
केआइएडीबी के उपायुक्त एस एन बालचंद्र के अनुसार परियोजना के लिए आवश्यक भूमि चिन्हित करने के लिए एक संयुक्त सर्वेक्षण चल रहा है। अंतिम रूप से अभी भूमि को अधिसूचित नहीं किया गया है। ये प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू होगी और जमीन मालिकों को नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई की यह प्रक्रियाएं पांच महीने में पूरी हो जाएंगी।
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