बेंगलूरु. सियाचिन में बर्फ के नीचे से छह दिन बाद चमत्कारिक रूप से जीवित निकले लांस नायक हनुमंतप्पा कोप्पड का परिवार मंगलवार को दिल्ली रवाना हो गया। हनुमंतप्पा की मां बसव्वा रामप्पा कोप्पड़,बहन जायव्वा, भाई गोविंदप्पा रामप्पा कोप्पड़, साला सुभाष अशोक बिलेबाल और पत्नी महादेवी (जयश्री) 18 माह की बेटी नेत्रा के साथ रवाना हुए।
धारवाड़ जिले के बेट्टदुर गांव से हनुमंतप्पा का परिवार सड़क मार्ग से गोवा के लिए निकला और जहां से वे शाम में विमान से दिल्ली के लिए रवाना हुए। कुंडगोल के विधायक और मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव सीएस शिवल्ली ने बताया कि परिवार को दिल्ली भेजने के लिए विशेष बंदोबस्त किया गया। दिल्ली रवाना होने से पहले हनुमंतप्पा की मां ने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा था कि उनका बेटा जरूर जिंदा आएगा। मां के चेहरे पर चमक और आंखों में खुशी साफ झलक रही थी। हालांकि, हनुमंतप्पा की हालत नाजुक है और डॉक्टर उनकी जान बचाने में जुटे हुए हैं। मगर परिवार को विश्वास है कि हनुमंतप्पा मौत को शिकस्त देकर जिंदगी की यह जंग जीत जाएगा। हनुमंतप्पा की पत्नी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ‘यह हम सबके लिए पुर्नजन्म की तरह है।
मेरे पति को उनकी मां की दुआओं ने बचाया है। मुझे कितनी खुशी है इसे बयां नहीं कर सकती। निश्चित मौत से निकलकर वो जिंदा आए हैं।
सिद्धू ने की परिजनों से बात : मंगलवार शाम में मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने हनुमंतय्या के परिजनों से फोन पर बात की। उस वक्त हनुमंतय्या के परिजन दिल्ली जाने के लिए गोवा हवाई अड्डे पर थे। बाद मेंं मुख्यमंत्री ने ट्विट कर बताया कि उन्होंने दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन के अधिकारियों को हनुमंतप्पा के परिवार के लिए सभी आवश्यक इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं।
गांव में जश्न का माहौल
हनुमंतप्पा के जीवित लौटने की खबर सुनते ही पूरे बेट्टादुर गांव में जश्न मनाया गया। हनुमंतप्पा के रिश्तेदार रमेश कोप्पड़ ने कहा कि सबकी प्रार्थनाएं रंग लाई। उसके जीवित होने की खबर सुनकर पूरा परिवार और गांव खुश है। हालांकि, राज्य के दो और सपूत इस भीषण बर्फीले तूफान में शहीद हो गए। अब तक मिल रही जानकारी के अनुसार उनके शव मिल गए हैं। राज्य के दो और जवान जो इस घटना में शहीद हुए उनमें हासन जिले के तेजुर गांव निवासी सूबेदार नागेश (41) और मैसूरु जिले के एचडी कोटे निवासी सिपाही पीएन महेश (30) शामिल हैं। (कासं)