संघ ने कहा है कि इस नीति के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले की संख्या में बड़े स्तर पर कमी आ सकती है। संघ ने कहा है कि पांच वर्ष से ज्यादा के बच्चों को आंगनवाड़ी में नहीं भेजा जा सकता है। ऐसे में अगर उन बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में नहीं होगा तो अभिभावक मजबूरन उनका दाखिला निजी विद्यालयों में कराएंगे। इसके अतिरिक्त जो अभिभावक बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ाने में सक्षम नहीं होंगे उनके बच्चे बाल श्रमिक बन सकते हैं। इसी कारण संघ ने आयु संबंधी बदलाव करने की मांग की है और पहली कक्षा में दाखिले की आयु सीमा पांच वर्ष निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया है।
नया मंत्री आने पर होगा फैसला
इस बीच विभाग का कहना है कि राज्य में नई सरकार गठन होने के बाद जब विभाग में मंत्री आएंगे, उसके बाद ही इस मांग पर कोई निर्णय लिया जा सकता है क्योंकि नियमों के अनुसार विभाग अपने स्तर से सीधे तौर पर कोई निर्णय नहीं ले सकता है।
नर्सरी से यूकेजी तक कक्षाएं सरकारी स्कूलों में भी लगाएं
सरकारी स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी की कक्षाएं संचालित नहीं होने के कारण अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी के बजाए निजी स्कूलों में दाखिला देते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे बाद में भी निजी स्कूलों में ही पढ़ाई करते हैं। संघ ने सुझाव दिया है कि सरकारी स्कूलों में भी नर्सरी से लेकर यूकेजी तक की कक्षाएं संचालित हों। इससे न सिर्फ सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी बल्कि सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों को चुनौती देेने में सक्षम हो जाएंगे।