इस अवसर पर एआईएमएसएस की जिलाध्यक्ष मधुलता गौडर ने कहा कि ईश्वरचंद्र विद्यासागर ही वह समाज सुधारक थे जिन्होंने सभी को विशेषकर बेटियों की शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने बाल विवाह तथा बहु विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद की। मधुलता गौडर ने कहा कि ईश्वरचंद्र के सिद्धांतों को भाजपा/आरएसएस नहीं मानती। भाजपा/आरएसएस की तोडऩे वाली मानसिकता के कारण ही आज प्रतिमा को ढहाया गया है।
मधुलता गौडर ने ईश्वरचंद्र की प्रतिमा को तोडऩे वालों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की। इस मौके पर एआईडीएसओ के जिला संगठक रणजीत धूपद ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब किसी महापुरुष की प्रतिमा को भाजपा/आरएसएस ने तोड़ा हो। इससे पहले परियार, अंबेडकर, लेनिन एवं टैगोर की प्रतिमाओं को भी इन्हीं लोगों ने ढहाया था। भारत को विश्व का सबसे बड़ी लोकतांकिक देश कहने वाले भाजपा के नेता अपनी पार्टी के अलावा अन्य व्यक्तियों के सिद्धांतों को नहीं मानते।
उन्होंने कहा कि विद्यासागर की हजारों प्रतिमाओं को ढहाया जा सकता है, परंतु वे एक प्रतिमा तक सीमित नहीं हैं। विद्यासागर के विचार इस देश के लोगों के दिलों में काफी गहराई तक पहुंचे हुए हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोडऩे वालों को शीघ्र गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए। विरोध प्रदर्शन में दोनों संगठन के नेता विजयलक्ष्मी देवत्कल, गंगा कोकरे, निंगम्मा हुडेद सहित कई उपस्थित थे।