अब हर मौसम में सक्रिय
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा निदेशालय में सूचना, शिक्षा व संचार विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेश शास्त्री ने बताया कि चिंता की बात यह है कि बारिश के समय परेशान करने वाले ये मच्छर अब हर मौसम में पनपने लगे हैं। तापमान में कम उतार-चढ़ाव के कारण कर्नाटक में इन मच्छरों का खतरा ज्यादा है। गत तीन वर्षों से डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
नए सीरोटाइप से खतरा ज्यादा
चिकित्सकों के अनुसार डेंगू के मच्छर शरीर में चार प्रकार के वायरस डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 छोडऩे की क्षमता रखते हैं। इन्हें डेंगू सीरोटाइप कहा जाता है। हर वर्ष डेंगू मनुष्यों को नए सीरोटाइप से प्रभावित करता है। मरीजों की सख्ंया बढऩे का एक कारण यह भी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने एक रिपोर्ट में बताया है कि 41 फीसदी मच्छर प्लास्टिक के ड्रम और कंटेनर में ही पैदा होते हैं। जिनका इस्तेमाल घरों में पानी जमा करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा कूलरों से 12 फीसदी और निर्माण स्थलों पर मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले लोहे के कंटेनर में 17 फीसदी मच्छर पैदा होते हैं।
फॉगिंग व साफ-सफाई पर विशेष ध्यान
मच्छरों से बचाव के तरीकों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। फॉगिंग व साफ-सफाई पर विशेष ध्यान है। लोगों का सहयोग भी जरूरी है।
डॉ. बी.जी.प्रकाश, प्रदेश उप निदेशक, राष्ट्रीय मच्छर जनित बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम
फैक्ट फाइल
वर्ष मरीज
2018 2403 2017 17265 2016 6083 2015 5077 ऐसे करें बचाव
– डेंगू के मच्छर सुबह 8 से 9 और शाम 5-6 बजे के बीच सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं।
– डेंगू के मच्छर के काटने की सबसे पसंदीदा जगह, कोहनी के नीचे या घुटने होते हैं।