Dengue : तेजी से सिर उठा रहा डेंगू का डंक
-दो माह में मिले 1105 मरीज
-स्वास्थ्य विभाग चलाएगा जागरूकता अभियान

बेंगलूरु. नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संदिग्ध यात्रियों व स्वाइन फ्लू के मरीजों के बीच अब डेंगू भी तेजी से सिर उठा रहा है। गत दो माह में प्रदेश में डेंगू के 1105 मामलों की पुष्टि हुई है। इनमें से 143 मरीज बृहद बेंगलूरु महानगर (बीबीएमपी) क्षेत्र में मिले हैं। राज्य के शेष जिलों में कोप्पल में सबसे ज्यादा 112 और चित्रदुर्गा में 99 मरीजों की पुष्टि हुई है। बेंगलूरु (ग्रामीण) और मंड्या में एक भी मामला सामने नहीं आया है।
इस बीच डेंगू से बचाव एवं मच्छरों पर नियंत्रण के लिए सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग जारी है। साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी बचाव के उपाय किए गए हैं। वहीं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भी डेंगू से बचाव क लिए जल्द ही जागरूरता अभियान चलाने की तैयारी में है।
138 फीसदी बढ़े डेंगू पीडि़त
गत वर्ष कर्नाटक में डेंगू के 10,524 मरीज मिले थे। इनमें से 6,515 मरीज बीबीएमपी यानी बेंगलूरु से थे। जबकि वर्ष 2018 में मरीजों की संख्या 4,427 ही थी। यानी डेंगू मरीजों की संख्या में एक वर्ष के दौरान 138 फीसदी वृद्धि हुई थी।
हर रोज मिल रहे 18 मरीज
इस वर्ष हर रोज डेंगू के औसत 18 मामले सामने आ रहे हैं। यह इसलिए ज्यादा चिंतनीय है कि क्योंकि अभी मानसून या मानूसन पूर्व की बारिश नहीं है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि डेंगू के बढऩे के पीछे कचरा, जल भराव, पानी की खुली टंकियां, निर्माणधीन जगहों पर जमा पानी, घर के बर्तनों में रखे गए खुले पानी सहित गमलों और कूलरों में जमा पानी डेंगू के मच्छरों को पनपने का मौका दे रहे हैं। बीबीएमपी और स्वास्थ्य विभाग के संचारी रोग विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि घर-घर जा लोगों को जागरूक करें और फॉगिंग तेज करें। घर-घर जाकर मच्छर के प्रजनन की जांच की जाए। जिन घरों में मच्छरों के पनपने का अनुकूल माहौल मिले उन घर के मालिकों को नोटिस दिया जाए।
गत वर्ष से सीखने की जरूरत
के. सी. जनरल अस्पताल के डॉ. मोहन कुमार का कहना है कि मॉनसून में परेशान करने वाले डेंगू के मच्छरों ने इस बार पहले ही सिर उठाया है। गत वर्ष भी ऐसा ही हुआ था। और साल के अंत तक 10 हजार से भी ज्यादा लोगों ने डेंगू को अपना शिकार बनाया था। करीब आठ लोगों की मौत हुई थी। गत वर्ष से सबक लेते हुए पहले से ही तैयारी करने की जरूरत है।
ठहरा हुआ खुला साफ पानी बड़ा स्रोत
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ.गिरी मलप्पा ने भी डेंगू के बढ़ते मामलों की पुष्टि की है। उनके अनुसार हर किसी को चाहिए कि घर और आसपास के इलाकों में सफाई सुनिश्चित करें। ठहरा हुआ खुला साफ पानी डेंगू के मच्छरों का एक बड़ा कारण है।
नारियल के खोखे को टुकड़ों में काटकर नष्ट करना जरूरी
शहर की मुख्य सड़कों पर धड़ल्ले से नारियल पानी बिकता है लेकिन नारियल खोखे के निस्तारण के लिए शहर में न कोई विशेष व्यवस्था है न कोई निगरानी तंत्र। रोजाना टनों के हिसाब से नारियल खोखे निकलते हैं। जिसका खामियाजा लोगों को डेंगू के रूप में भुगतना पड़ता है। खोखों में पानी जमा होने से डेंगू का लार्वा पनपने लगता है। विशेषज्ञों की मानें तो बचाव के लिए नारियल के खोखे को टुकड़ों में काटकर नष्ट करना जरूरी है। यह प्रयास रहे कि उसमें पानी जमा होने की संभावना न बचे।
दस दिन में ही वयस्क मच्छर में बदल जाते हैं
डेंगू के मच्छर को इसके शरीर एवं पैरों पर विशेष सफेद छोट-छोटे धब्बों के द्वारा पहचाना जा सकता है। यह एक घरेलू प्रकार का मच्छर है जो रुके हुए पानी में प्रजनन करता है तथा 100-200 मीटर तक की पहुंच तक उड़ सकता है। यह ज्यादातर ठंडे छायादार जगहों पर घर के भीतर व बाहर पनपता है। मादा मच्छर ज्यादातर अपने अंडे घर के आस-पास रखे कनस्तरों, डिब्बों आदि में पैदा करती है जो दस दिन में ही वयस्क मच्छर में बदल जाते हैं।
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