आवश्यकता अनुसार न मिलने पर जितने दु:खी हंै उससे अधिक इच्छा अनुसार न मिलने पर दु:खी हैं, चाहे वो आवश्यकता से अधिक ही क्यों न हो। वास्तव में सच्चा सुखी तो संतोषी ही है।
उन्होंने कहा कि जीवन जीने के लिए धन मात्र साधन ही होना चाहिए ,साध्य नहीं।
उन्होंने कहा कि जीवन जीने के लिए धन मात्र साधन ही होना चाहिए ,साध्य नहीं।
गिरिराज विकास एवं सात क्षेत्र में दान योजना बनाई है जिसमें विश्व के 7 लाख जैनों को जोडऩे की पहल की है। मेंगलूरु से आए वासुपूज्य महिला मंडल भी ऋषभ परिवार में जुड़ा, 54 परिवार को और जोडऩे की प्रेरणा दी।