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सडकों का जाल निगल रहा है शहर की हरियाली

locationबैंगलोरPublished: Jun 25, 2020 09:41:42 pm

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

समीक्षा रिपोर्ट में खुलासा

सडकों का जाल निगल रहा है शहर की हरियाली

सडकों का जाल निगल रहा है शहर की हरियाली

बेंगलूरु. कर्नाटक सड़क विकास निगम (केआरडीसीएल) ने बेंगलूरु शहर के आस-पास के क्षेत्रों में सड़कें बेहतर करने तथा नई सड़कें बनाने की योजनाएं तैयार की हैं। बताया जा रहा है कि 152 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण योजना के लिए 8 हजार 561 पेड़ काटे जा रहे हैं। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से पर्यावरण पर होने वाले दुष्परिणामों का इस योजना के प्रस्ताव में जिक्र तक नहीं किया गया है।एक निजी संस्था ने 29 फरवरी से 6 मार्च तक इस योजना के कारण पर्यावरण पर होने वाले संभावित परिणामों की विस्तृत समीक्षा की है।
इस में सड़कों का उन्नयन तथा नई सड़कों के निर्माण से जनजीवन तथा स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर होने वाला असर, प्रदूषण का स्तर, तालाबों पर योजना का असर, पुराने पेडों की कटाई का संभावित परिणाम तथा इसके स्थानीय जैविक विविधता पर होने वाले असर को उजागर किया गया है।रिपोर्ट में बताया गया है कि कंचगुरनहल्ली तथा जिगणी के बीच योजना शुरु होने से पहले ही 51 बड़े पेड़ गिराए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में गिराए गए पेड़ों की संख्या 184 से अधिक है। इसके अलावा इस क्षेत्र में 1000 पेड़ चिन्हित किए गए है, जिन्हें सड़क बिछाने के लिए गिराया जाना तय है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पेड़ों की कटाई के कारण हम कई बहुमूल्य पेड़ खो रहे हैं। इस भारी प्राकृतिक संपदा के नुकसान की भरपाई पौधरोपण करने से संभव नहीं है। मदुरे तथा नेलमंगला के बीच मौजूदा 15 किलोमीटर सड़क के आस-पास 206 विशाल बरगद के पेड़ हंै। इसी सड़क के आस पास कई बड़े नीम तथा पीपल के पेड़ मौजूद हंै जिन्हें काटा जा रहा है।इस कटाई से बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान को जोडऩे वाले आनेकल आरक्षित वन क्षेत्र तथा जुना संद्रा मिनी फॉरेस्ट की जैव विविधता खतरे में पड़ जाएगी। कटाई के कारण जैव विविधता के लिए वर्ष 1972 ऐक्ट के तहत सुरक्षित कई दुर्लभ पेड़ हम खोने जा रहे हंै।
इस योजना का वर्तुर तथा मुदुरै झील समेत 14 जलसंरचनाओं पर प्रतिकूल असर होगा।रिपोर्ट के मुताबिक सड़क उन्नयन तथा निर्माण की यह योजना शहर की वनराई के लिए घातक साबित होगी। वनराई के कारण से ही शहर का तापमान तथा प्रदूषण नियंत्रित है यह वनराई हटने के बाद शहर में तापमान बढऩे के साथ-साथ प्रदूषण भी बढ़ेगा। सभी दिशाओं में अनियंत्रित तरीके से बढ़ रहे इस शहर के विकास के लिए योजनाबद्ध रूपरेखा की आवश्यकता है। अनियंत्रित विकास इस शहर के लिए घातक साबित होगा। एक बार हम मौजूदा वनसंपदा को खो देंगे तो इस जैव विविधता के नुकसान की भरपाई पौधरोपण तथा पेड़ों के स्थानांतरण से संभव नहीं है।
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